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'जिंदा रहना है तो सेक्स करना…', भूख-प्यास से जूझ रही महिला ने सुनाई दर्दनाक आपबीती, इस देश के शरणार्थी कैंप की कहानी सुन कांप जाएगी रूह

BY: Raunak Pandey • LAST UPDATED : November 17, 2024, 11:42 am IST
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'जिंदा रहना है तो सेक्स करना…', भूख-प्यास से जूझ रही महिला ने सुनाई दर्दनाक आपबीती, इस देश के शरणार्थी कैंप की कहानी सुन कांप जाएगी रूह

Civil War in Sudan: भूख-प्यास से जूझ रही महिला ने सुनाई दर्दनाक आपबीती

India News (इंडिया न्यूज), Civil War in Sudan: अफ़्रीकी देश सूडान में हुए भीषण गृहयुद्ध से भागकर चाड पहुंची 27 वर्षीय महिला को लगा कि अब वह सुरक्षित है। लेकिन यहां उसके संघर्ष ने और भी दर्दनाक रूप ले लिया। दरअसल, भूख और बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण उसे यौन शोषण का सामना करना पड़ा। महिला ने बताया कि उसके 7 सप्ताह के बच्चे का जन्म एक सहायता कर्मी के साथ संबंध बनाने के बाद हुआ, जिसने उसे भोजन और पैसे के बदले में यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया। शरणार्थी शिविरों में रहने वाली कई महिलाओं और लड़कियों ने खुलासा किया कि उन्हें स्थानीय सुरक्षा कर्मियों और सहायता कर्मियों द्वारा यौन शोषण का सामना करना पड़ा।

एक मां ने सुनाई दर्दनाक कहानी

बता दें कि, एक महिला ने बताया कि जब उसके बच्चों के लिए भोजन खत्म हो गया, तो उसने एक सहायता कर्मी से मदद मांगी। तब वह सहायता कर्मी यौन संबंध बनाने के बदले में हर बार करीब ₹1000 देता था। वहीं बच्चे के जन्म के बाद उसने महिला को छोड़ दिया। वहीं यौन शोषण के ये मामले बताते हैं कि मानवीय सहायता प्रदान करने वाले संगठन अपने मूल उद्देश्य में विफल हो रहे हैं। साथ ही राहत शिविरों में सुरक्षित स्थान और शिकायत दर्ज करने की व्यवस्था तो है, लेकिन महिलाएं या तो इनके बारे में नहीं जानतीं या फिर इनका इस्तेमाल करने से डरती हैं। दरअसल, शरणार्थी महिलाओं की सबसे बड़ी मांग रोज़गार और सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार है।

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अगर हमारे पास पर्याप्त संसाधन होते, तो…

दरअसल, युद्ध में अपने परिवार को खो चुकी 19 वर्षीय युवती ने कहा कि अगर हमारे पास पर्याप्त संसाधन होते, तो हमें अपनी गरिमा नहीं खोनी पड़ती। मनोवैज्ञानिक दार अल-सलाम उमर ने कहा कि कुछ महिलाएं गर्भवती हो गईं और समुदाय के कलंक के डर से गर्भपात नहीं करा पाईं। उन्होंने कहा कि ये महिलाएं मानसिक रूप से टूट चुकी हैं। पति के बिना गर्भधारण करना उनके लिए और भी बड़ा आघात है। वहीं कई सहायता एजेंसियां शोषण को रोकने के प्रयास कर रही हैं। डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के महासचिव क्रिस्टोफर लॉकयर ने कहा कि ऐसे मामलों की गंभीरता से जाँच की जाएगी।

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