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Women who breastfeed Covid Antibodies beware! remain in milk for so many months
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
दुनियाभर में कोविड वैक्सीनेशन के लिए जोरो-शोरो से अभियान चलाए जा रहे हैं। इस साथ ही गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी वैक्सीन लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके पीछे लक्ष्य है कि स्वास्थ्य जोखिमों को कम किया जा सके।
हाल ही में कुछ अध्ययनों में ये पाया गया है कि एक प्राकृतिक संक्रमण स्तनपान कराने वाली महिलाओं में एंटीबॉडी को निष्क्रिय कर सकता है, जिसके कारण दूध में एंटी-बॉडीज करीब 10 महीने तक रह सकती हैं। ये एंटीबॉडी न केवल शिशुओं की रक्षा कर सकती हैं बल्कि सामान्य लोगों की तुलना में अधिक समय तक रहती हैं।
न्यूयॉर्क के माउंट सिनाई अस्पताल के इकन स्कूल आॅफ मेडिसिन की ओरसे किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि ब्रेस्ट मिल्क में एंटीबॉडी अन्य प्रकार की एंटी-बॉडी से अलग होती हैं, जो इंसानी रक्त में पाई जाती हैं और कोविड वैक्सीनेशन से बनती है। ये अध्ययन हाल ही में 15वें ग्लोबल और लैक्टेशन सिम्पोजियम में प्रस्तुत किया गया था। मेडिसिन विभाग के डॉ. रेबेका पॉवेल का कहना है कि लगभग 10 प्रतिशत शिशुओं में कोविड -19 के लक्षण पाए गए थे, जिसमें उन्हें इंटेंस देखभाल की आवश्यकता होगी।
शोधकतार्ओं ने इस अध्ययन के लिए 75 महिलाओं के ब्रेस्टमिल्क के नमूने लिए गए। ये महिलाएं कोविड -19 से उबर चुकी थीं और पाया कि 88 प्रतिशत महिलाओं में एंटीबॉडी थीं। हालांकि ज्यादातर मामलों में ये एंटी-बॉडी संक्रमण को रोकने में सक्षम थीं। उन्होंने यह भी पाया कि इस ब्रेस्टमिल्क में 10 महीने तक ये एंटीबॉडी रहती हैं। अध्ययन के मुताबिक, मॉडर्ना वैक्सीन लगवाने वाली सभी महिलाओं और फाइजर वैक्सीन लगवाने वाली 87 प्रतिशत महिलाओं के दूध में कोरोनावायरस की विशिष्ट एंटीबॉडी थी।
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पॉवेल के मुताबिक हम जानते हैं कि आरएनए टीकों से बनने वाली एंटीबॉडी का लेवल दूसरे टीकों की तुलना में बहुत अधिक होता है। जरूरी नहीं कि संक्रमण से बचने के लिए इतनी एंटीबॉडी की आवश्यकता हो, लेकिन दूध का प्रभाव वास्तव में इस बात पर निर्भर करता है कि आपके अंदर बहुत अधिक एंटीबॉडी है।
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