संबंधित खबरें
विश्व में भारतीय सेना का बजा डंका, इस हिंदू राष्ट्र ने सैन्य प्रमुख को किया मानद उपाधि से सम्मानित, फिर बिलबिला उठेगा चीन
शख्स दोस्तों के साथ मना रहा था अपना Birthday…तभी हुआ कुछ ऐसा भारत में मच गई चीख पुकार, मामला जान नहीं होगा विश्वास
ICC के फैसले का नहीं पढ़ रहा नेतन्याहू पर असर, लेबनान में लगातार बह रहा मासूमों का खून…ताजा हमलें में गई जान बचाने वालों की जान
पीएम जस्टिन ट्रूडो को आई अकल, भारतीयों के सामने झुकी कनाडा की सरकार…एक दिन बाद ही वापस लिया ये फैसला
जहां पर भी फटेगा परमाणु बम…तबाह हो जाएगा सबकुछ, यहां जाने उस विनाश और उसके प्रभाव के बारे में
अगर दोस्त पुतिन ने फोड़ा परमाणु बम…तो भारत पर क्या होगा असर? मिट जाएगा इन देशों का नामो-निशान
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली, (Despite China’s Threat) : चीन की धमकियों के बावजूद अमेरिकी सदन की स्पीकर नैंसी पेलोसी ताइवान पहुंच गई हैं। उनका प्लेन ताइपे के एयरपोर्ट पर उतरते ही चीन काफी बौखला गया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि अमेरिका खतरनाक जुआ खेल रहा है और अब इसके जो गंभीर परिणाम सामने आएंगे, उसके लिए खुद अमेरिका जिम्मेदार होगा।
चीन लगातार नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे का विरोध कर रहा था। चीन का कहना है कि अमेरिका अब तक वन चाइना के सिद्धांत को फॉलो करता रहा है, ऐसे में अब ताइवान के अलगाववाद को समर्थन करना अमेरिका का वादा तोड़ने जैसा है।
ताइवान पहुंचने पर नैंसी पेलोसी और कांग्रेस डेलिगेशन की ओर से संयुक्त बयान जारी किया गया है। जिसमें लिखा गया है कि यूनाइटेड स्टेट्स हाउस आॅफ रिप्रेजेंटेटिव्स के स्पीकर द्वारा 25 साल में यह पहला दौरा है। नैंसी पेलोसी के ताइवान पहुंचते ही चीन पूरी तरह अलर्ट हो गया है। वहां सिविल डिफेंस के अलार्म बज रहे हैं।
चीन का कहना है कि उनके और अमेरिका के संबंधों की नींव वन-चाइना सिद्धांत है। ऐसे में चीन ताइवान इंडिपेंडेंस की ओर से उठाए जा रहे अलगाववादी कदमों का विरोध करता है। चीन मानता है कि अमेरिका या किसी बाहरी को इस मामले में दखल नहीं देनी चाहिए।
ताइवान और चीन के बीच जंग काफी पुरानी है। 1949 में कम्यूनिस्ट पार्टी ने सिविल वार जीती थी। तब से दोनों हिस्से अपने आप को एक देश तो मानते हैं लेकिन इसपर विवाद है कि राष्ट्रीय नेतृत्व कौन सी सरकार करेगी। चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है, जबकि ताइवान अपने आप को आजाद देश मानता है। दोनों के बीच मतभेद दूसरे विश्व युद्ध के बाद से हुई। उस समय चीन के मेनलैंड में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और कुओमितांग के बीच जंग चल रही थी।
1940 में माओ त्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों ने कुओमितांग पार्टी को हरा दिया। हार के बाद कुओमितांग के लोग ताइवान आ गए। उसी साल चीन का नाम पीपुल्स रिपब्लिक आॅफ चाइना और ताइवान का रिपब्लिक आॅफ चाइना पड़ा। चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है और उसका मानना है कि एक दिन ताइवान उसका हिस्सा बन जाएगा। वहीं, ताइवान खुद को आजाद देश बताता है। उसका अपना संविधान है और वहां चुनी हुई सरकार है।
ताइवान चीन के दक्षिण पूर्व तट से करीब 100 मील दूर एक ाइसलैंड है। चीन और ताइवान, दोनों ही एक-दूसरे को मान्यता नहीं देते। अभी दुनिया के केवल 13 देश ही ताइवान को एक अलग संप्रभु और आजाद देश मानते हैं।
ये भी पढ़े : गूगल मैप 10 भारतीय शहरों में लाया स्ट्रीट व्यू फीचर, जानिए शहरों की सूची और कैसे करे फीचर का प्रयोग
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.