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India News (इंडिया न्यूज),Sheikh Hasina:बांग्लादेश उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है। शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद से वहां की स्थिति नाजुक बनी हुई है। हिंदू अल्पसंख्यकों पर लगातार हमले हो रहे हैं। वहां भारत विरोधी भावनाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। कट्टरपंथी ताकतें सत्ता में प्रभावशाली होती जा रही हैं। इसके बावजूद अमेरिका कुछ नहीं बोल रहा है।
पिछले तीन दशकों में भारत और अमेरिका के बीच संबंध काफी मजबूत हुए हैं। आज दोनों देश अहम रणनीतिक साझेदार के तौर पर उभरे हैं। सैन्य और व्यापार के क्षेत्र में दोनों के बीच साझेदारी नई ऊंचाइयों पर पहुंच गई है। दोनों के बीच लोगों के बीच संपर्क भी बेहतरीन है। इस समय अमेरिका में करीब 80 लाख भारतीय रहते हैं। इन भारतीयों को अमेरिका के सबसे कुलीन और प्रभावशाली वर्गों में से एक कहा जाता है।
इसके बावजूद बांग्लादेश को लेकर भारत और अमेरिका की राय एक जैसी नहीं है। 1971 में बांग्लादेश की स्थापना के समय भी अमेरिका ने भारत के विरोधी खेमे यानी पाकिस्तान का साथ दिया था। वह बांग्लादेश की आजादी के खिलाफ था। बांग्लादेश के स्वतंत्र देश बनने के करीब पांच दशक बाद भी वह इस स्थिति को स्वीकार नहीं कर पाया है। बांग्लादेश में उसने वहां की कट्टरपंथी ताकतों, खासकर पाकिस्तान के पक्षधरों को समर्थन देना शुरू कर दिया। इसी क्रम में वह कट्टरपंथियों के करीबी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) का समर्थन करता रहा है। बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति भारत को परेशान करने वाली है। क्योंकि यह देश भारत की गोद में बैठा है। यह तीन तरफ से भारत से घिरा हुआ है। अगर कट्टरपंथी ताकतें यहां सिर उठाती हैं तो भारत को इससे परेशानी होगी।
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने खुलेआम कहा है कि अमेरिका ने उन्हें सत्ता से बेदखल करने की साजिश रची थी। अब एक नई रिपोर्ट उनके बयान की पुष्टि करती नजर आ रही है। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी विदेश विभाग में दक्षिण और मध्य एशिया मामलों के सचिव डोनाल्ड लू की भूमिका सवालों के घेरे में है। इसी साल मई में डोनाल्ड लू ने ढाका का दौरा किया था। आधिकारिक तौर पर उनके इस दौरे को बांग्लादेश के साथ रिश्ते सुधारने की अमेरिकी कोशिश करार दिया गया था। लेकिन, अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने कई सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स और तथाकथित सिविल सोसाइटी के लोगों से बातचीत की। ढाका से जाने के कुछ ही दिनों बाद वहां विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए।
डोनाल्ड लू एक करियर डिप्लोमेट हैं। वे हिंदी और उर्दू समेत दर्जनों भाषाएं बोलते हैं। पिछले 25 सालों में वे भारत और पाकिस्तान समेत कई देशों में तैनात रह चुके हैं। ये वही लू हैं जिन पर पड़ोसी देश पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी उनकी सरकार को गिराने की कोशिश करने का आरोप लगाया था। ऐसी भी खबरें हैं कि लू ने नेपाल, म्यांमार और श्रीलंका की आंतरिक राजनीति में भी दखल दिया।
मौजूदा भू-राजनीति में बांग्लादेश और यूक्रेन दो ऐसे देश हैं जहां भारत और अमेरिका की राय एक-दूसरे से मेल नहीं खाती। शेख हसीना ने आरोप लगाया है कि अगर उन्होंने बंगाल की खाड़ी में स्थित सेंट मार्टिन द्वीप अमेरिका को दे दिया होता तो उनकी सरकार बच जाती। बांग्लादेश की स्थापना के बाद से ही यह वहां भारत विरोधी ताकतों के साथ है। कूटनीति विशेषज्ञों का मानना है कि वह लंबे समय से बांग्लादेश में कट्टरपंथी ताकतों को प्रभावित करके बंगाल की खाड़ी में अपने लिए सैन्य अड्डा बनाने की योजना पर काम कर रहा है। लेकिन भारत अपने समुद्री क्षेत्र के आसपास अमेरिकी सैन्य अड्डे की मौजूदगी का समर्थक नहीं रहा है।
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