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पाकिस्तान भी चला श्रीलंका की राह पर, आर्थिक संकट गहराया, फंस गया चीन के जाल में

इंडिया न्यूज, इस्लामाबाद:
अभी श्रीलंका के आर्थिक हालात सुधरे भी नहीं थे कि पाकिस्तान में आर्थिक संकट गहराने लगा है। पाकिस्तान में बिगड़ते हालातों के बीच सरकार ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 30 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी कर दी है। पिछले कई महीनों से खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को संभालने में जुटा पाकिस्तान संभलता नहीं दिख रहा है।

इससे दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले देशों में से एक और भारत के इस पड़ोसी देश के सामने श्रीलंका की तरह आर्थिक संकट के दलदल में फंसने की स्थिति बनती दिख रही है। चलिए जानते हैं क्यों पाक जूझ रहा आर्थिक संकट से, आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए पाकिस्तान क्या कर रहा है-

क्यों पाकिस्तान में बन रहे श्रीलंका जैसे हालात?

पाकिस्तान की वित्तीय मामलों की जांच एजेंसी एफबीआर के पूर्व चेयरमैन सैयद शब्बर जैदी ने कहा कि पाकिस्तान की हालत श्रीलंका से अलग नहीं है और पाकिस्तान भी डिफॉल्ट होने की कगार पर है। यह बात सही है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इस समय काफी तेजी से बिगड़ रही है और पाकिस्तान को अगर तत्काल बड़ी मदद नहीं मिली तो देश के हालात अगले कुछ महीनों में श्रीलंका जैसे ही हो जाएंगे।

पेट्रोल-डीजल पर सब्सिडी घटाने का असर पाकिस्तान की नई सरकार की राजनीति पर पड़ सकता है। हाल ही में पीएम पद से हटाए गए इमरान खान वर्तमान प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ की सरकार के खिलाफ बढ़ती कीमतों को लेकर मोर्चे खोले हुए हैं और जल्द से जल्द चुनावों का ऐलान करने की मांग कर रहे हैं।

पाक रुपया 200 के पार?

डॉलर के मुकाबले पहली बार पाकिस्तानी रुपया 202.9 रुपए प्रति डॉलर तक पहुंच गया है। आईएमएफ की ओर से 6 अरब डॉलर के कर्ज में देरी की वजह से यह गिरावट आई है। बीते फाइनेंशियल ईयर की तुलना में इस फाइनेंशियल ईयर में डॉलर के मुकाबले पाकिस्तान रुपए में 25 फीसदी की गिरावट आई है और बीते 13 माह से रुपया नीचे गिरता जा रहा है। 10 अप्रैल को जब अविश्वास प्रस्ताव के जरिए इमरान खान सरकार को हटाया गया उस समय पाकिस्तानी रुपए की कीमत डॉलर के मुकाबले 182.93 रुपए थी। तब से अब तक पाकिस्तानी रुपया अपनी वैल्यू 7 फीसदी खो चुका है।

बिजली की कीमतों में हो सकती है बढ़ोतरी?

सुनने में आ रहा है कि पाकिस्तानी सरकार 1 जून से बिजली की कीमतों में 5 रुपए प्रति यूनिट तक की बढ़ोतरी कर सकती है। बिजली की कीमतों में कुल 12 रुपये प्रति यूनिट तक वृद्धि हो सकती है, जिसमें 5 रुपये प्रति यूनिट बिजली सब्सिडी खत्म करने से बढ़ेंगे।

इससे पहले पिछले माह भी पाकिस्तान में बिजली महंगी हुई थी और प्रति यूनिट 4.80 रुपये की बढ़ोतरी की गई थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ माह पहले ही पाकिस्तान में गैस, कोयला और फर्नेस आयल पर चलने वाले कई बिजली संयंत्रों को बंद कर दिया गया है, जिससे गर्मी के मौसम में लोगों को वहां बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है।

खजाने में केवल 2 माह के लिए रुपए बचे?

नकदी की तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार इस माह गिरकर 10.1 अरब डॉलर रह गया है। इतने कम विदेशी मुद्रा भंडार का मतलब है कि पाक के पास पेट्रोल-डीजल समेत जरूरी चीजों के आयात के लिए केवल दो माह का रुपया बचा है।

पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार गिरता ही जा रहा है। 6 मई को समाप्त सप्ताह में ये 16.4 अरब डॉलर था, जोकि दिसंबर 2019 के बाद से उसका सबसे कम विदेशी मुद्रा भंडार है। पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार अक्टूबर 2016 में सर्वाधिक 19.9 अरब डॉलर और जनवरी 1972 में सबसे कम 96 मिलियन डॉलर रहा था।

गैर जरूरी वस्तुओं का आयात बंद?

पाकिस्तान को बड़े आर्थिक संकट से बचाने के लिए शहबाज शरीफ सरकार ने आपात आर्थिक योजना लागू की है। इसके तहत 38 गैर जरूरी व लग्जरी वस्तुओं के आयात पर रोक लगी है। शहबाज सरकार ने यह कदम डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपए के मूल्य में आई रिकॉर्ड गिरावट के बीच लिया है। पाक का भी विदेशी मुद्रा भंडार यानी डॉलर तेजी से कम हो रहा है। ऐसे में सरकार नहीं चाहती कि देश में गैर जरूरी सामान के आयात पर डॉलर को खर्च किया जाए।

पेट्रोल 180 रुपए, डीजल 174 रुपए हुआ प्रति लीटर

गहरे आर्थिक संकट में फंसते पाकिस्तान की शाहबाज शरीफ सरकार ने पाकिस्तान में सभी पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स की कीमत को 30 रुपए प्रति लीटर बढ़ा दिया है। इसके साथ ही वहां पेट्रोल-डीजल की कीमतों ने अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। इस बढ़ोतरी के साथ ही पाकिस्तान में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 180 रुपए, डीजल की कीमत 174 रुपए प्रति और केरोसिन की कीमत 156 रुपए प्रति लीटर हो गई।

हालिया बढ़ोतरी के बावजूद पाकिस्तानी सरकार अब भी डीजल पर प्रति लीटर 56.71 रुपए, पेट्रोल पर 21.83 रुपए और केरोसिन पर 17.02 रुपए का खर्च वहन कर रही है। इसका मतलब है कि सब्सिडी में कमी की अभी भी बहुत गुंजाइश है। अगर पाकिस्तान को आईएमएफ से कर्ज लेना है तो उसे फ्यूल सब्सिडी पूरी तरह खत्म करनी पड़ सकती है।

आम जनता पर पड़ रहा बोझ

इसका बोझ आम लोगों पर पड़ेगा। दरअसल, पाकिस्तान अपनी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड यानी आईएफएफ से राहत पैकेज पाने की कोशिशों में जुटा है। 26 मई को पाकिस्तान और आईएमएफके बीच हुई बैठक में 900 मिलियन डॉलर के कर्ज के लिए सहमति बनी है, लेकिन इसके लिए आईएमएफ ने पाकिस्तान के सामने फ्यूल और बिजली पर दी जा रही सब्सिडी को खत्म करने की शर्त रखी है।

पाकिस्तान ने आईएमएफ से 2019 में 6 अरब डॉलर की सहायता पाने के लिए करार किया था। इस सहायता राशि में से 3 अरब डॉलर अब भी जारी नहीं किए गए हैं और इसकी 900 मिलियन डॉलर की एक किश्त को जारी करने के लिए ही पाकिस्तान आईएमएफ को मनाने में जुटा है। पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बढ़ने से पाकिस्तान में और ज्यादा महंगाई बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। पाकिस्तान सरकार आईएमएफ से कर्ज पाने के लिए अब आम जनता पर महंगाई का बोझ डाल रही है।

पाक फंसा चीन के कर्ज में

पाकिस्तान भी श्रीलंका के रास्ते पर चलते हुए आर्थिक सहायता के नाम पर चीन से मिलने वाले अरबों डॉलर के कर्ज जाल में फंस गया है। वर्ल्ड बैंक मुताबिक, पाकिस्तान दुनिया के 10 सबसे बड़े कर्जदारों में शामिल हो गया है।
माना जाता है कि चीन ने पाकिस्तान समेत कई देशों को अपनी कर्ज जाल डिप्लोमेसी में फंसाया है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस डिप्लोमेसी के जरिए चीन की नजरें पाकिस्तान की रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण संपत्तियों पर पहुंच स्थापित करने पर हैं। पाकिस्तान में कई बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को चीनी बैंकों ने फाइनेंस किया है। चीन के कर्ज में फंसकर श्रीलंका में भुखमरी के दलदल में फंसा है। कहा जा रहा है कि अगर पाकिस्तान जल्द ही वर्तमान आर्थिक संकट से नहीं उबरा, तो वह हाल के दिनों में चीन से लोन लेकर कर्ज में डूबने वाला दूसरा देश बन जाएगा।

मार्च 2023 तक पाक को कितना विदेशी कर्ज चुकाना है?

पाकिस्तान का आर्थिक संकट श्रीलंका की तरह गहराता जा रहा है। मार्च 2023 तक पाकिस्तान को 20 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज चुकाना है। हालांकि मौजूदा परिस्थितियों के हिसाब से यह एक बड़ी चुनौती है। पाकिस्तान की खराब हालत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सरकार अब वर्किंग डे घटाकर ईंधन बचाने की संभावना खोज रही है। माना जा रहा है कि ऐसा करने से पूरे साल में करीब 2.7 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा को बचाया जा सकता है।

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