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हाथी का मांस क्यों बांट रही सरकार? अकाल के बारे में जानकर हो जाएंगे हैरान

Himanshu Pandey • LAST UPDATED : August 29, 2024, 1:16 am IST

Elephants die in Namibia

India News (इंडिया न्यूज), Elephants die in Namibia: जल और जंगल की रक्षा करो…नहीं तो एक दिन हम भूख से मर जाएंगे। यकीन न हो तो इस देश का हाल देख लो। सूखे की वजह से ऐसा अकाल पड़ा है कि खाने को अन्न नहीं है। लोग भूखे मर रहे हैं। प्यासे हैं पर पीने को पानी नहीं है। सरकार क्या करे, अनाज के गोदाम खाली हो गए हैं। कहीं से कोई उम्मीद नहीं है। अगर लोगों की जान बचानी है तो सरकार अब जानवरों को मार रही है। हाथियों को मारकर उनका मांस लोगों में बांट रही है। जेब्रा और वाइल्डबीस्ट को मारने की योजना है, ताकि किसी तरह लोगों की भूख मिटाई जा सके, तो चलिए जानते हैं क्या है पूरा मामला

सरकार ने 83 हाथियों को मारने का फैसला किया

दरअसल, यह मामला अफ्रीकी देश नामीबिया का है, जहां 100 साल का सबसे बड़ा सूखा पड़ा है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक पिछले महीने ही नामीबिया के अनाज के गोदाम खाली हो गए। उनमें सिर्फ 16 फीसदी अनाज पड़ा था। बाजारों से अनाज गायब है। पैसे होते हुए भी लोग उसे खरीद नहीं पा रहे हैं। भूख से लोगों को मरता देख सरकार ने पार्कों और सामुदायिक क्षेत्रों में रखे गए 83 हाथियों को मारने का फैसला किया है। इनका मांस लोगों में बांटा जाएगा। इनके अलावा 30 दरियाई घोड़े, 60 भैंसों के साथ ही 50 इम्पाला, 100 ब्लू वाइल्डबीस्ट, 300 जेब्रा और 100 एलैंड को भी मारने की योजना है। इसे कलिंग कहा जा रहा है।

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क्या है कलिंग?

नामीबिया के पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक, जो जानवर कमजोर हैं, उन्हें मारने के लिए चुना जाएगा। इसके लिए पेशेवर शिकारियों को लगाया गया है। कुछ कंपनियों को ठेका दिया गया है। अब तक 157 जानवरों का शिकार किया जा चुका है। सरकार को इनसे 56,800 किलो से ज्यादा मांस मिला है, जिसे लोगों में बांटा जा रहा है।

सरकार कर रही संविधान से अपील

सरकार जानवरों को मारने के लिए संविधान से अपील कर रही है। पर्यावरण मंत्रालय ने कहा, यह काम बहुत जरूरी है, क्योंकि हमारा संविधान भी यही कहता है कि प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल नागरिकों की जान बचाने के लिए किया जाना चाहिए। बता दें कि पांच अफ्रीकी देशों जिम्बाब्वे, जांबिया, बोत्सवाना, अंगोला और नामीबिया में 2 लाख से ज़्यादा हाथी रहते हैं। यहां हाथियों की सबसे घनी आबादी है। इस वजह से उनके बीच संघर्ष होता रहता है। पिछले साल सूखे की वजह से 300 से ज़्यादा हाथियों की मौत हो गई थी।

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