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इंडिया न्यूज, Copenhagen News। Methane Gas Leak In Baltic Sea: बाल्टिक सागर में हर घंटे 23 हजार किलो मीथेन गेस लीक हो रही है और पर्यावरणविदों के साथ ही संयुक्त राष्ट्र ने भी इस पर चिंता जताई है। पाइपलाइन टूटने के बाद रिकॉर्ड स्तर पर लगातार गैस लीक हो रही है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) ने कहा है कि बाल्टिक सागर के तल पर नॉर्ड स्ट्रीम नैचुरल गैस पाइपलाइन सिस्टम के टूटने से क्लाइमेट के लिए हानिकारक मीथेन गैस लीक की सबसे बड़ी घटना होने की आशंका है।
यूएनईपी के लिए आईएमईओ के प्रमुख मैनफ्रेडी कैल्टागिरोन ने बताया कि यह वास्तव में खराब है। सबसे अधिक आशंका इस बात की है कि अब तक की सबसे बड़ी उत्सर्जन घटना का पता चला है। यह उस क्षण में मददगार नहीं है जब हमें उत्सर्जन को कम करने की आवश्यकता है।
मीथेन गैस के उत्सर्जन पर नजर बनाए रखने के लिए सैटेलाइट्स का इस्तेमाल करने वाले जीएचजीसैट के रिसर्चर्स ने अनुमान लगाया है कि टूटने वाले 4 बिंदुओं में से एक से रिसाव दर 22,920 किलोग्राम प्रति घंटा थी।
जीएचजीसैट ने एक बयान में कहा, यह हर घंटे लगभग 6,30,000 पाउंड कोयला जलाने के बराबर है। कंपनी ने यह भी बताया कि यह दर बहुत अधिक है। कैल्टागिरोन ने कहा कि गजप्रोम के नेतृत्व वाले पाइपलाइन सिस्टम से लीक होने वाली मीथेन की कुल मात्रा दिसंबर में मैक्सिको की खाड़ी और गैस क्षेत्रों से हुई एक बड़ी लीक से भी अधिक हो सकती है। वह प्रति घंटे लगभग 100 मीट्रिक टन तक फैल गई थी।
वेलेंसिया के पॉलिटेक्निक यूनिवर्सिटी द्वारा की गई एक रिसर्च और पर्यावरण विज्ञान और प्रौद्योगिकी पत्र पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, मैक्सिको की खाड़ी-जिसे अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है-ने 17 दिनों में लगभग 40,000 मीट्रिक टन मीथेन रिलीज की थी।
अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी के ग्रीनहाउस गैस कैलकुलेटर के अनुसार, यह 1.1 बिलियन पाउंड कोयले को जलाने के बराबर है। बता दें कि लेटेस्ट सैटेलाइट टेक्नॉलोजी ने हाल के सालों में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को खोजने और उसका विश्लेषण करने की वैज्ञानिकों की क्षमता में तेजी से वृद्धि की है। कुछ सरकारों को उम्मीद है कि इससे कंपनियों को मीथेन उत्सर्जन का पता लगाने और रोकने में मदद मिलेगी।
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