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India News (इंडिया न्यूज़), Indian girl in custody of German government, Germany: जर्मनी में रहने वाले गुजरात मूल के धरा और भावेश शाह अपनी ही बेटी को पाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। बता दें उनकी दो साल की बेटी अरिहा शाह को जर्मनी प्रशासन ने अपने कस्टडी में ले लिया है। ऐसे में माता पिता ने अपनी बेटी को पाने के लिए भारत सरकार से गुहार लगाई जिसे लेकर भारत ने भी जर्मनी सरकार पर दबाव बनाया है। सवाल ये है कि आखिर अपनी ही बेटी को पाने के लिए धरा और भावेश शाह को इतनी परेशानी क्यों हो रही है? जर्मनी सरकार उन्हें उनकी बेटी क्यों नहीं शौप रही। चलिए जानते हैं इससे जुड़ी सारी बातें।
बता दें धरा और भावेश शाह की बेटी सितंबर 2021 में जब सात महीने की थी तब उनकी मां ने बच्ची के डाइपर में खून देखा। वे उसे अस्पताल ले गए, इलाज के बाद स्थानीय अस्पताल ने बच्ची को बड़े अस्पताल रेफर कर दिया। वहां पहले बच्चे के साथ सेक्सुअल प्रताड़ना का शक हुआ। इस कारण सात महीने की अरिहा शाह को जर्मन चाइल्ड लाइन सर्विस भेज दिया गया। इसके बाद अरिहा शाह को फोस्टर केयर में डाल दिया गया। डॉक्टरी जांच में ऐसी बात नहीं निकली। 2022 के शुरू में पुलिस ने भी केस बंद कर दिया। इसके बाद धरा-आवेश शाह को लगा कि उनकी बेटी उनके साथ आ जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
बता दें पुलिस के द्वारा केस बंद करने के बाद अरिहा के साथ एक दूसरा केस जुड़ गया। चाइल्ड लाइन सर्विस ने कोर्ट में पैरंटिग राइट्स टर्मिनेट का केस बनाया। इस आधार पर कहा गया कि अरिहा को उनके माता-पिता को नहीं सौंपा जा सकता है, क्योंकि उन्होंने ही अपनी बच्ची के साथ हिंसक व्यवहार किया। पुलिस से क्लीन चिट मिलने के बाद भी सेक्सुअल हिंसा को आधार माना गया। हालांकि धरा शाह के अनुसार, बच्ची की दादी से गलती से चोट लग गई थी जिससे घाव हुआ, लेकिन वहां की जांच एजेंसी ने इस तर्क को नहीं माना।
ऐसे में अपनी ही बच्ची की कस्टडी पाने के लिए धरा के माता पिता ने सरकार के साथ अपनी जंग की शुरूआत कि जो आज तक चल रही है। कोर्ट ने अरिहा शाह के अभिभावकों की मनोवैज्ञानिक जांच कराने को भी कहा। जांच अधिकारियों ने उन पर आरोप लगाया कि वे अच्छे अभिभावक नहीं हैं और बच्चे को उन्हें नहीं सौंपा जा सकता। बर्लिन चाइल्ड सर्विसेज ने केस दायर किया कि वे माता-पिता की जिम्मेदारी निभाने लायक नहीं हैं और अरिहा की जिम्मेदारी उन्हें नहीं दी जा सकती। वहां उनका फिट-टू-बी-मदर-फादर टेस्ट लेने की तैयारी की जा रही है।
अपने ही बच्चे से बिछड़ने के बाद धरा और भावेश शाह ने भारत सरकार के सामने गुहार लगाई है। केंद्र सरकार ने जर्मनी से संपर्क साधा है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर तक ने जर्मनी से मामले में भारतीय कानून के अनुसार बच्चा सौंपने का आग्रह किया है। जर्मनी में भारत के दूतावास ने इस मामले में लगातार संपर्क बनाए रखा है। तमाम दलों के लगभग 60 सासंदों ने इस बारे में जर्मनी से हस्तक्षेप करने के लिए पत्र लिखा।
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