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India News (इंडिया न्यूज),Third World War: विश्व युद्ध का नाम सुन कर हर कोई कांप जाता है। इस समय दुनिया भर में कई जगह जंग का माहौल है। जिसकी वजह से कई बार ऐसा लगता है कि तीसरा विश्व युद्ध कभी भी शुरु हो सकता है। बता दें द्वितीय विश्व युद्ध में हुई तबाही में करोड़ों लोगों की जान चली गई थी। यही वजह है कि जब भी तीसरे विश्व युद्ध की बात होती है तो लोग डर जाते हैं। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि अगर तीसरा विश्व युद्ध हुआ तो उसके बाद इंसान हॉलीवुड की किसी फिल्म के सुपरहीरो जैसे हो जाएंगे। उनकी त्वचा बुलेटप्रूफ हो सकती है और उनमें जन्मजात निंजा स्किल्स हो सकती हैं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर टिम कूलसन, जो रॉयल सोसाइटी से सम्मानित एक प्रतिष्ठित प्राणी विज्ञानी और जीवविज्ञानी हैं, का मानना है कि परमाणु युद्ध ऐसे विकासवादी बदलाव ला सकता है, जिसके बाद इंसानों को पहचानना भी मुश्किल हो जाएगा।
उनका कहना है कि वैश्विक परमाणु संघर्ष के बाद इंसानों में आनुवंशिक परिवर्तन हो सकते हैं। इससे ‘सुपरह्यूमन’ पैदा हो सकते हैं जो आज की तुलना में ज्यादा मजबूत, फिट और लड़ने में ज्यादा कठिन होंगे। उनका मानना है कि हम क्रूर वातावरण से निपटकर, आश्रय तैयार करके और खोई हुई तकनीक और विज्ञान को एक साथ जोड़कर ‘हाइपर इंटेलिजेंस’ हासिल कर सकते हैं। उनका दावा है कि इंसान सिकुड़ सकते हैं और चमगादड़ की तरह उड़ने के लिए उनके पंख भी हो सकते हैं।
यूरोपियन मैगज़ीन में लिखते हुए उन्होंने कहा कि मानव रूप में बड़े बदलाव होने में लाखों साल लगेंगे। लेकिन इसकी शुरुआत तीसरे विश्व युद्ध से हो सकती है। लेकिन उन्होंने कहा, ‘भविष्य में, मनुष्य अत्यधिक बुद्धिमान बनने के लिए विकसित हो सकता है और उसके पास अविश्वसनीय ताकत हो सकती है। वह चमगादड़ की तरह उड़ने की क्षमता रख सकता है।’उन्होंने आगे लिखा, ‘यह एक दूर की बात हो सकती है। लेकिन क्या किसी ने सोचा था कि आधा अरब साल पहले एक छोटी जेलीफ़िश जैसा प्राणी मानव में विकसित हो सकता है?’
विकास वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से मनुष्य सहित अन्य जीव आनुवंशिक भिन्नता और प्राकृतिक चयन के माध्यम से समय के साथ बदलते हैं। जीव ऐसी चीजें विकसित करते हैं जो जीवित रहने और प्रजनन को बेहतर बनाने वाले गुणों को बढ़ाती हैं। हालांकि, पर्यावरणीय आपदाएं, युद्ध, बीमारी और जलवायु परिवर्तन जैसी घटनाएं विकासवादी दिशा में बदलाव ला सकती हैं। इससे विकासवादी प्रक्रिया तेज हो सकती है।
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