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इंडिया न्यूज( India News) पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और तहरीक ए इंसाफ पार्टी के प्रमुख इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान में हिंसा भड़क गई थी। इमरान खान के समर्थको द्वरा हिंसा किया गया था। बता दे 9 मई को खान के गिरफ्तारी के बाद देशव्यापी विरोध देखने को मिला था।जो अब इमरान खान के लिए ही मुश्किल का सबब बनती जा रही है। पाकिस्तानी सेना ने पीटीआई नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ आर्मी एक्ट के तहत कार्रवाई शुरू कर दी है। हिंसा भड़कने के एक दिन बाद 10 मई को पीटीआई के राष्ट्रीय महासचिव असद उमर को एमपीओ के तहत आईएचसी परिसर से हिरासत में लिया गया था। हिंसक विरोध के फैलने के 24 घंटे के भीतर पीटीआई के कई अन्य शीर्ष नेताओं को भी इस्लामाबाद से हिरासत में लिया गया था। इसी का असर है कि इमरान खान के करीबी नेता धीरे-धीरे उनका साथ छोड़ रहे हैं। फवाद चौधरी के बाद इमरान खान के एक और करीबी नेता असद उमर ने भी पार्टी के पदों से इस्तीफा दे दिया है।
बुधवार (24 मई) को असद उमर को पाकिस्तान के अडियाला जेल से रिहा किया गया था। रिहाई के कुछ देर बाद ही असद उमर ने पीटीआई की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। हालांकि अपने इस्तीफे का एलान करते समय उन्होंने किसी दबाव में होने की बात से इनकार किया। साथ ही उन्होंने कहा कि वह पार्टी नहीं छोड़ रहे हैं और सिर्फ पार्टी के पदों से इस्तीफा दे रहे हैं।
पीटीआई के राष्ट्रीय महासचिव असद उमर ने कहा कि 9 मई को भड़की हिंसा में जो सबसे खराब बात हुई वो ये थी कि सैन्य ठिकानों पर हमले हुए। इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) महासचिव असद उमर की तुरंत रिहाई का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने सार्वजनिक व्यवस्था अध्यादेश के रखरखाव के तहत उनके नजरबंदी के आदेश को रद्द कर दिया साथ ही कहा कि उनकी गिरफ्तारी गैरकानूनी है। असद उमर इमरान खान के करीबी सहयोगी है।
न्यायमूर्ति मियांगुल औरंगजेब ने अदालत की अध्यक्षता की, सुनवाई को दौरान उन्होंने फैसला सुनाया कि उनकी गिरफ्तारी एमपीओ (लोक व्यवस्था अध्यादेश के रखरखाव) का उल्लंघन थी। 10 मई को, पीटीआई के अध्यक्ष इमरान खान की गिरफ्तारी पर राष्ट्रव्यापी प्रदर्शनों के एक दिन बाद, उमर को एमपीओ के तहत आईएचसी मैदान से हिरासत में लिए लिया था।
उमर ने अपनी याचिका में कहा-मेरे मौलिक मानवाधिकारों का उल्लंघन किया गया
न्यायमूर्ति औरंगजेब ने कहा कि असद उमर के मामले मेरे सामने हैं। अगर मैं आज आदेश जारी करता हूं, तो मुझे नहीं पता कि कल क्या होगा। अदालत ने उमर को अपने भड़काऊ ट्वीट डिलीट करने और एक हलफनामा जमा करने का आदेश दिया। एक रिपोर्ट में बताया कि इससे पहले 12 मई को असद उमर ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) परिसर में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी। उमर ने अपनी याचिका में कहा कि गिरफ्तारी के दौरान मेरे मौलिक मानवाधिकारों का उल्लंघन किया गया। वहीं फैसले में अदालत ने पीटीआई नेता असद को हिंसक विरोध प्रदर्शन का हिस्सा नहीं बनने के लिए एक हलफनामा प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया।
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