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नेपाल सीमा पर ठप हुआ व्यापार, बहराइच में हज़ारों ट्रक फंसे, हर रोज़ दो सौ करोड़ का नुकसान

India Nepal Trade Loss: नेपाल में लगातार बिगड़ते हालात और बवाल के बाद लगाए गए कर्फ्यू और बंद का असर अब दोनों देशों के व्यापार पर भी साफ दिखाई देने लगा है.

Written By: shristi S
Last Updated: September 11, 2025 16:42:38 IST

Nepal Border Trade Crisis: भारत-नेपाल सीमा पर पिछले चार दिनों से व्यापार पूरी तरह ठप पड़ा हुआ है. नेपाल में बिगड़ते हालात और लगातार जारी कर्फ्यू का असर अब दोनों देशों की आर्थिक धारा पर साफ दिखाई देने लगा है. बहराइच जिले से सटे रुपईडीहा इंटरनेशनल चेकपोस्ट समेत कई सीमाई चौकियों पर हज़ारों मालवाहक वाहन कतारों में खड़े हैं. खाद्यान्न, तेल, लोहा, कपड़ा और रोज़मर्रा की ज़रूरी वस्तुओं से लदे ये ट्रक सीमा पार नहीं जा पा रहे. अनुमान है कि रोज़ाना करीब दो सौ करोड़ रुपये से अधिक का व्यापारिक नुकसान हो रहा है.

भारत-नेपाल का गहरा रिश्ता और ठप आपूर्ति

भारत और नेपाल का रिश्ता केवल सांस्कृतिक नहीं, बल्कि आर्थिक रूप से भी बेहद अहम है. नेपाल की खपत का लगभग 90 प्रतिशत सामान भारत से ही जाता है. उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमाओं से रोज़ाना सैकड़ों ट्रक नेपाल की ओर जाते हैं, लेकिन विद्रोह और अशांति की वजह से प्रशासन ने सीमा पार यातायात पर रोक लगा दी है. नतीजतन, नेपाल को ज़रूरी आपूर्ति बंद हो चुकी है और भारत के व्यापारी वर्ग को भी भारी घाटा उठाना पड़ रहा है.

ट्रक चालक बने इंतज़ार के कैदी

सीमा पर खड़े वाहन चालकों की हालत सबसे दयनीय है. चार दिनों से ट्रक रुके होने के कारण चालक सड़क किनारे अस्थायी ठिकानों पर ठहरे हैं. उनका कहना है कि लंबे इंतज़ार से जेब पर भारी असर पड़ रहा है और ऊपर से वाहनों में लदा सामान खराब होने लगा है. खासकर खाद्य सामग्री से लदे ट्रकों के व्यापारियों को दोहरी मार झेलनी पड़ सकती है.

कारोबारी वर्ग में गहरी चिंता

व्यापारियों का कहना है कि नेपाल में उपजे हालात अगर लंबे समय तक नहीं सुधरे तो घाटे का आंकड़ा हज़ारों करोड़ तक पहुंच सकता है। पहले से महंगाई और मंदी की मार झेल रही बाज़ार व्यवस्था को यह झटका और अधिक अस्थिर कर देगा. स्थानीय लोग, व्यापारी और ट्रक चालक सभी यही उम्मीद लगाए बैठे हैं कि नेपाल की स्थिति जल्द सामान्य हो. भारत-नेपाल की वर्षों पुरानी दोस्ती और आर्थिक साझेदारी इस ठहराव से प्रभावित हो रही है. जानकारों का कहना है कि अगर सीमा पर आवागमन शीघ्र बहाल नहीं हुआ तो न केवल कारोबार, बल्कि दोनों देशों की अर्थव्यवस्था पर भी दीर्घकालिक असर पड़ सकता है.

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