India News(इंडिया न्यूज), India-Pakistan Relations: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पाकिस्तान सरकार से निमंत्रण मिलने जा रहा है। पाकिस्तान सरकार अक्टूबर में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक के लिए पीएम मोदी को आमंत्रित करेगी। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हम SCO के सभी राष्ट्राध्यक्षों को निमंत्रण भेजेंगे। हमें उम्मीद है कि SCO के सभी सदस्य इसमें हिस्सा लेंगे। बता दें कि, इससे पहले विदेश मंत्री जयशंकर कजाकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इस दौरान जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की। इस दौरान दोनों के बीच द्विपक्षीय वार्ता में एलएसी पर भी चर्चा हुई।
SCO के अलावा जयशंकर की वांग यी से मुलाकात में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) का मुद्दा भी उठा। इस बैठक के दौरान जयशंकर ने सीमा क्षेत्रों में विवादित मुद्दों के जल्द समाधान की जरूरत पर जोर दिया। दोनों नेताओं के बीच सीमा क्षेत्रों में विवादित मुद्दों को जल्द से जल्द सुलझाने के लिए कूटनीतिक और सैन्य माध्यमों से किए जा रहे प्रयासों को दोगुना करने पर चर्चा हुई। इस बैठक के बाद जयशंकर ने कहा कि एलएसी का सम्मान करना और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सद्भाव सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। साझा सम्मान, साझा संवेदनशीलता और साझा हित द्विपक्षीय संबंधों के मार्गदर्शक हो सकते हैं।
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जानतकारी के लिए बता दें कि, शंघाई सहयोग संगठन की 24वीं बैठक 3 से 4 जुलाई तक आयोजित की जा रही है। एससीओ में भारत, चीन, पाकिस्तान और रूस समेत नौ देश हैं। विदेश मंत्री जयशंकर इस शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद सत्र के व्यस्त कार्यक्रम के कारण इस शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हो सके।
SCO का सही मायने में गठन 15 जून 2001 को हुआ था। तब चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने ‘शंघाई सहयोग संगठन’ की स्थापना की थी। इसके बाद नस्लीय और धार्मिक तनाव दूर करने के अलावा व्यापार और निवेश को बढ़ाना भी इसका उद्देश्य बन गया। 1996 में जब शंघाई फाइव का गठन हुआ था, तो इसका उद्देश्य चीन और रूस की सीमाओं पर तनाव को रोकना और उन सीमाओं को कैसे बेहतर बनाया जाए, यह था। ऐसा इसलिए था क्योंकि उस समय नए बने देशों के बीच तनाव था। यह उद्देश्य सिर्फ़ तीन साल में ही हासिल कर लिया गया। इसलिए इसे सबसे कारगर संगठन माना जाता है।
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