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India News (इंडिया न्यूज), PM Modi Laos Visit: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आसियान (ASEAN) यानी दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों के संगठन की बैठक में हिस्सा लेने के लिए अपने दो दिवसीय दौरे पर लाओस जा रहे हैं। हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, लाओस एक छोटा सा देश है, अगर हम इस देश की कुल आबादी की बात करें तो इसकी आबादी महज 75 लाख के करीब है। अगर हम भारत से इसकी तुलना करें तो भारत में बिहार की राजधानी पटना की कुल आबादी भी मौजूदा वक्त में करीब 75 लाख ही है। जानकारी के अनुसार लाओस साल 1945 तक फ्रांस का गुलाम रहा था। ऐसे में सवाल ये उठता है कि, भारत के लिए ये देश क्यों इतना अहम है। और आखिर क्यों भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाओस दौरे से पड़ोसी देश चीन की टेंशन बढ़ गई है।
जैसा कि आप सबको पता है कि, दक्षिण चीन सागर में ड्रैगन की दादागिरी कितनी है। चीन इस क्षेत्र में अपने सभी पड़ोसियों पर अपना दबदबा कायम रखने से कभी बाज नहीं आता है। इन देशों में लाओस भी शामिल है। जब साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता में आए थे। तब उन्होंने एक्ट ईस्ट पॉलिसी पर काफी ज्यादा जोर दिया था। इसी कड़ी में भारत ने म्यांमार और थाईलैंड जैसे देशों तक सड़क के निर्माण पर जोर दिया। आसियान (ASEAN) देशों का हिस्सा चीन नहीं है। यह कहना गलत नहीं होगा कि इस संगठन में ज्यादातर चीन की दादागिरी से परेशान देश शामिल हैं।
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चीन हमेंशा से ही हिंद महासागर में भारत के पड़ोसी देश जैसे श्रीलंका, मालदीव, बांग्लादेश और म्यांमार पर अपने रिश्ते मजबूत करने की लगातार कोशिश करता रहता है। इन देशों को अपने जाल में फंसाने के लिए चीन ने नई तकनीक अपनाई है। अपनी इस पॉलिसी में वो कुछ हद तक कामयाब भी रहा है। चीन हमेशा से हिंद महासागर में भारत को घेरने की कोशिश करता रहता ही। भारत इसी तर्ज पर साउथ चाइना सी में चीन के दुश्मन देशों में तेजी से अपनी पैंठ बढ़ा रहा है।
आसियान बैठक का मुद्दा म्यांमार में लंबे समय से चल रहे गृह युद्ध और दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय तनाव से निपटने पर ध्यान केंद्रित करना है। हम आपको बताते चले कि, चीन इस संगठन का हिस्सा नहीं है। भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत पीएम मोदी बैठक के दौरान चीन से परेशान देशों के साथ संबंधों को और मजबूत करने का प्रयास करेंगे।
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