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India News (इंडिया न्यूज), Taliban Pakistan War : रूस-यूक्रेन यूद्ध के बाद अब भारत के पड़ोसी में आने वाले समय में जंग छिड़ सकती है। यहां पर हम पाकिस्तान और अफगानिस्तान में तालिबान की बात कर रहे हैं। दोनों के बीच जंग जैसे हालात हो गए हैं। इसकी शुरुआत दिसंबर महीने में हुई थी। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में सात स्थानों पर हवाई हमले किए, जिसमें महिलाओं और बच्चों सहित 46 लोग मारे गए। यह 21 दिसंबर को दक्षिण वजीरिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के हमले का बदला था, जिसमें 16 पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मी मारे गए थे।
जवाबी कार्रवाई में, तालिबान ने पाकिस्तान में कई जगहों पर हमला किया। इसके बाद 29 दिसंबर को तालिबान के आंतरिक मंत्रालय में एक ब्लास्ट में 10 लोगों की मौत हो गई। इस हमले के पीछे नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट ऑफ अफगानिस्तान का हाथ बताया गया, जोकि पाकिस्तान से जुड़ा हुआ है। जंग के हालात को देखते हुए भारत की टेंशन बढ़ गई है।
अमेरिका के अफगानिस्तान से जाने के बाद वहां पर भारत के दुश्मन देश अपनी नजर गढ़ा कर बैठे हैं। इसमें चीन और पाकिस्तान शामिल हैं। असल में अगस्त 2021 में जब तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया, उस वक्त पाकिस्तान ने इसे अपनी जीत के तौर पर प्रचारित किया। पाकिस्तानी आईएसआई के तत्कालीन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद कहवा पीने काबुल चले गए। हालांकि, इससे पाकिस्तान को वो लाभ नहीं मिला, जिसकी उसने कल्पना की थी।
इसके अलावा हाल के कुछ समय में तालिबानी सरकार ने भारत के साथ संपर्क स्थापित किया है। ऐसे में अगर फिर से अफगानिस्तान में तालिबान का शासन कमजोर पड़ता है तो पाकिस्तान को इसका लाभ होगा और भारत को नुकसान। भारत चाहता है कि वह अफगानिस्तान को साधकर अपनी मध्य पूर्व की कूटनीति को आगे बढ़ाए।
अगर दोनों के बीच जंग छिड़ती है तो शुरूआत में कौन किस पर ज्यादा भारी पड़ेगा ये बताना थोड़ा मुश्किल है। असल में तालिबान के शस्त्रागार में बड़े पैमाने पर अल्पविकसित हथियार और 2021 से छोड़े गए अमेरिकी भंडार शामिल हैं। वहीं पाकिस्तान के पास अफगानिस्तान की तुलना में ज्यादा बड़ी सेना है। इसके अलावा पाकिस्तान लाखों अफ़गान शरणार्थियों की मेजबानी करता है और कराची बंदरगाह के माध्यम से अफ़गानिस्तान के व्यापार को नियंत्रित करता है। उसके अलावा जो सबसे बड़ी दिक्कत है वो चीन है जो पाकिस्तान और अफगानिस्तान दोनों को ही हथियार दे रहा है।
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