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India News (इंडिया न्यूज),Iran New Presedent: ईरान में मसूद पेजेशियान राष्ट्रपति बन चुके हैं। इब्राहिम रईसी की हेलिकॉप्टर हादसे में मौत के बाद उन्होंने ये पदभार संभाला लिया है। परमाणु वार्ताकार सईद जलीली को शिकस्त देते हुए उदारवादी नेता ने शुक्रवार को दूसरे चरण में जीत दर्ज की थी। लेकिन आपको बता दें कि राष्ट्रपति बनने के बावजूद भी वो इस्लामी गणराज्य के अहम फैसले खुद की मर्जी से नहीं ले सकते हैं। आइए इस खबर में हम आपको बताते हैं कि इसके पीछे का कारण क्या है।
जैसे भारत में राष्ट्रपति सर्वशक्तिशाली होते हैं। उनके पास असीमित शक्तियां होती है। वो खुद की मर्जी से सारे फैसले ले सकते हैं। लेकिन ईरानी गणराज्य में ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। यहां राष्ट्रपति के पास सीमित शक्तियां होती है। ईरान में सर्वोच्च नेता का प्रभाव अत्यधिक है। सर्वोच्च नेता का पद यहां का सर्व शक्तिशाली पद होता है। ऐसे में बिना सर्वोच्च नेता से राय सलाह के राष्ट्रपति भी कोई फैसले नहीं ले सकता है।
आपको बता दें कि वर्तमान में अयातुल्लाह अली खामनेई ईरान के सर्वोच्च नेता हैं। हांलाकि कुछ समय के बाद 85 वर्षीय अली खामनेई अपने उत्तराधिकारी का चयन करने वाले हैं। इस विशेष अवसर पर राष्ट्रपति भी शामिल होंगे। बताया जा रहा है कि इस कार्यक्रम में उनकी अहम भूमिका होगी।
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इस्लामी गणराज्य में कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं जिन पर राष्ट्रपति चाह कर भी कोई फैसले नहीं ले सकते हैं। यहां की शासन व्यवस्था के अनुसार राष्ट्रपति परमाणु क्षेत्र अथवा परमाणु कार्यक्रम से संबंधित कोई भी फैसले नहीं ले सकते हैं। मध्य पूर्व में मिलिशिया समूह के समर्थन पर अथवा किसी भी बड़े मुद्दे पर राष्ट्रपति को कोई भी नीतिगत बदलाव करने का अधिकार करना का अधिकार नहीं होता है।
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