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इंडिया न्यूज, वाशिंगटन (Iran Nuclear Deal): लेखक सलमान रुश्दी पर पिछले हफ्ते के हमले के लिए एक ईरान को जिम्मेदार मानना और ईरानी नागरिक पर केस चलने से अमेरिका की चिंता बढ़ गई है। क्योंकि अमेरिका ईरान के साथ 2015 के परमाणु समझौते की वापसी पर बातचीत करने का प्रयास कर रहा है। लेकिन ईरान के परमाणु करार को बहाल करने को लेकर अमेरिका के सामने नई बाधाएं खड़ी हो गई है।
यूरोपीय संघ ईरान के समक्ष ने करार के संबंध में प्रस्ताव रखा है, जिस पर अमेरिका और यूरोपीय संघ ईरान ने अभी तक जवाइ नहीं दिया है। इस प्रस्ताव को पश्चिमी देशों की तरफ से ईरान के लिए अंतिम प्रस्ताव कहा जा रहा है। हालांकि अमेरिकी प्रशासन को समझौते पर पहुंचने से पहले नयी घरेलू राजनीतिक बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। ईरान ने 12 अगस्त को वेस्टर्न न्यूयॉर्क में आयोजित साहित्य कार्यक्रम में रुश्दी पर हमला करने वाले से किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया है।
दूसरी ओर, बोल्टन की हत्या की साजिश में शामिल होने का आरोपी ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड कोर का सदस्य है। पत्रकारों से बातचीत में बोल्टन ने कहा है कि ‘मुझे नहीं लगता कि जिस देश के साथ आप एक महत्वपूर्ण हथियार समझौता करने वाले हैं, वह अपने दायित्वों का पालन करेगा या वार्ता को लेकर गंभीरता दिखाएगा। वह एक ऐसा देश है जो एक पूर्व उच्च स्तरीय सरकारी अधिकारी और वर्तमान सरकारी अधिकारी की हत्या की साजिश रहा है।
जानना जरूरी है कि ईरान और वैश्विक महाशक्तियों ने 2015 में परमाणु करार पर सहमति जताई थी। इसके तहत ईरान ने आर्थिक पाबंदियां हटाने की एवज में यूरेनियनम संवर्धन की सीमा कम करने का वादा किया था। हालांकि अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2018 में समझौते से अमेरिका को बाहर निकाल लिया था, जिसके बाद यह समझौता खटाई में पड़ गया था। जो बाइडन के राष्ट्रपति बनने के बाद इस पर दोबारा वार्ता शुरू हुई थी।
इस डील के आलोचक जिन्होंने लंबे समय से किसी भी समझौते को खत्म करने की कसम खाई है, उन्होंने एक ऐसे देश के साथ बातचीत का विरोध किया है, जिसके नेतृत्व ने रुश्दी या बोल्टन के खिलाफ मौत की धमकी को रद्द करने से इनकार कर दिया है।
‘कानेर्गी एनडोमेंट फोर इंटरनेशनल पीस’ में ईरान मामलों के जानकार करीम सज्जादपुर का मानना है, ”2015 की तुलना में इस बार कोई समझौता काफी मुश्किल है। समझौता हो भी गया तो इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि ईरान के रवैये में कोई नरमी आएगी या अमेरिका-ईरान के बीच व्यापक सहयोग कायम हो पाएगा।”
वहीं ईरान ने कहा कि उसने विश्व शक्तियों के साथ अपने परमाणु समझौते को बहाल करने के लिए तैयार अंतिम मसौदे पर लिखित प्रतिक्रिया दी है। ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी के अनुसार 3 मुद्दों को लेकर विवाद है, अमेरिका ने इनमें से दो मामलों में लचीलापन दिखाने का मौखिक रूप से आश्वासन दिया है, लेकिन इसे लिखित रूप में भी दिया जाना चाहिए। तीसरा मुद्दा (समझौते की) निरंतरता की गारंटी से संबंधित है।
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