इसमें दोनों पक्षों ने मुक्त व्यापार समझौते, ईरान-पाकिस्तान गैस पाइपलाइन, कश्मीर, अफगानिस्तान, इस्लामोफोबिया, आतंकवाद निरोधक सहयोग का जिक्र किया है। इसके साथ ही कश्मीर पर ईरान और पाकिस्तान ने कहा, कि ‘दोनों पक्षों ने कश्मीर के मुद्दे को बातचीत और शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने पर जोर दिया जो वहां के लोगों की इच्छा और अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक हो।’ ईरान के इस बयान को काफी नपा तुला माना जा रहा है जिससे दोस्त भारत को कोई खास दिक्कत नहीं होनी चाहिए।
शहबाज का उड़ा मजाक
इस तरह से चौतरफा किरकिरी के बाद पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने किसी तरह से ईरान को कश्मीर पर बयान देने के लिए मनाया। वह भी तब जब शहबाज शरीफ ने ईरान और भारत की दोस्ती में दरार डालने के लिए राईसी के सामने कश्मीर का राग अलापना शुरू कर दिया था। शहबाज शरीफ ने कश्मीर की तुलना गाजा के हालात करने की नाकाम कोशिश की। ईरानी राष्ट्रपति ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की चाल को भांपते हुए कश्मीर का कहीं भी जिक्र तक नहीं किया। इस बात को लेकर शहबाज सरकार की जमकर किरकिरी हुई।