Israel-Hamas: इज़रायल के ‘भस्मासुर’ हमास का इतिहास

India News (इंडिया न्यूज़), Israel-Hamas: हमास और इज़रायल की जंग का एक हफ़्ता गुज़र चुका है। युद्ध के कई फ्रंट खुल चुके हैं और इज़रायल ख़ुद को घिरा हुआ पा रहा है। हमास से लड़ रहे इज़रायल के सामने ईरान और सीरिया भी बड़ा ख़तरा बन चुके हैं। इज़रायली सेना ने सीरिया के अलेप्पो और दमिश्क इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर रॉकेट दागे, तो सीरिया भड़क गया। उधर लेबनान भी हमास के समर्थन में है, हिज़बुल्लाह के लड़ाके हमास के साथ मिलकर इज़रायल पर हमले कर रहे हैं। लेबनान और सीरिया अब इज़रायल के लिए बड़ा सिरदर्द बन चुके हैं।

इज़रायल डिफ़ेंस फ़ोर्स बरसा रही है बम-बारूद

इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू बड़ा संकेत दे चुके हैं, कह रहे हैं कि युद्ध तब तक चलता रहेगा जब तक हमास का आख़िरी लड़ाका मार ना दिया जाए। हमास का ख़ात्मा आसान नहीं दिखता। हमास के जल्लाद अंडरग्राउंड सुरंग में हैं। ग़ज़ा की सुरंग हमास के क़साइयों का शहर है। सुरंग से बाहर निकालने के लिए इज़रायल डिफ़ेंस फ़ोर्स बम-बारूद बरसा रही है। हमास ने इन्हीं सुरंगों में इज़रायल के लोगों को बंधक बना कर रखा है। सुरंग हमास के आतंकियों की लाइफ़लाइन है। हमास का मुखिया इस्माइल हानिए और कासम ब्रिगेड का कमांडर मोहम्मद दानिफ़ इसी सुरंग के नेटवर्क को ताक़त बनाते हैं। सुरंगों के ज़रिए इज़रायल की नाक़ाबंदी से बचकर मिस्र से तस्करी करता है हमास।

“हमास के सामने तो अलक़ायदा भी अच्छा है, ये तो राक्षस हैं”

आतंकी इन्हीं सुरंगों का इस्तेमाल रॉकेट लॉन्चर को रखने और इज़रायल की सैटेलाइट से बचने के लिए भी करते हैं। सुरंगों में स्टोरेज, पावर बैकअप और कमांड सेंटर हैं। हैरान करने वाली बात ये है कि इन सुरंगों के अलग-अलग गेट आम लोगों के घरों से लेकर सरकारी दफ़्तरों में खुलते हैं। धार्मिक चरमपंथ, ईरान-क़तर-लेबनान-सीरिया का समर्थन और अंडरग्राउंड सुरंग नेटवर्क की वजह से हमास की जड़ पर वार करना बहुत मुश्किल है तभी तो अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि, “हमास के सामने तो अलक़ायदा भी अच्छा है, ये तो राक्षस हैं”।

कट्टरपंथी आतंकवादी कैंसर बन चुके हैं

हमास के बनने की कहानी उतनी ही पेचीदा है जितना उसे क्रैक करने की कोशिश। आज की जेनरेशन को लगता होगा कि हमास को फ़िलिस्तीन ने बनाया होगा, लेकिन ऐसा नहीं है। आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि हमास का जन्मदाता ख़ुद इज़रायल है जिसके लिए आज ये कट्टरपंथी आतंकवादी कैंसर बन चुके हैं। हमास इज़रायल का वो भस्मासुर है जो पूरे क्षेत्र को तबाह करने पर आमादा है। ये इतिहास तब का है जब लगभग पूरी दुनिया पर अंग्रेज़ों का राज था, लेकिन दूसरे विश्वयुद्ध ने दुनिया का भूगोल बदल कर रख दिया। युद्ध ख़त्म हुआ तो अरब अंग्रेज़ी शासन से मुक्त हो चुका था। अरब को अपना देश और यहूदियों को ख़ुद के मुल्क की दरकार थी।

1947 में संयुक्त राष्ट्र ने आग में घी डालने का काम किया

ये उस समय की बात है जब दुनियाभर में यहूदियों पर ज़ुल्म की इंतेहा हो चुकी थी। असल मुसीबत तब शुरू हुई, जब मुस्लिमों और यहूदियों की नज़र ब्रिटेन से आज़ाद हुए ज़मीन के एक बड़े टुकड़े पर पड़ी, और दोनों ने उस बड़े टुकड़े को अपने देश के तौर पर बनाना शुरू कर दिया। नतीजा ये हुआ कि मुस्लिमों और यहूदियों के बीच झगड़े शुरू हो गए। हालांकि ये झगड़े कोई बड़े नहीं थे, लेकिन साल 1947 में संयुक्त राष्ट्र ने आग में घी डालने का काम किया और ज़मीन के विवादित टुकड़े को दो हिस्सों में बांट दिया।

जमीन की खूनी जंग शुरू

यूनाइटेड नेशंस की पहल पर बंटवारा हुआ और एक नया देश बना इज़रायल, यहूदियों का इज़रायल। ग़ैर यहूदी ग़ुस्से से लाल थे और वो इस ज़मीन के दूसरे टुकड़े की तरफ़ आ गए। जो ग़ैर यहूदी इज़रायल की ज़मीन छोड़कर आए उन्होंने फिलिस्तीन बना डाला- जिसके दो हिस्से ग़ज़ा पट्टी और वेस्ट बैंक पर आज तक विवाद है। मुस्लिम और यहूदियों को अपना-अपना मुल्क तो मिला, लेकिन ज़मीन की ख़ूनी जंग शुरू हो गई।

दोनों में से कोई भी अपने देश के बंटवारे के लिए रज़ामंद नहीं था। अंग्रेज़ जा चुके थे, इसलिए मुस्लिम-यहूदियों की लड़ाई रोकने वाला कोई था नहीं। अरब के कई देशों ने इस बीच मौक़ा ढूंढा और मिस्र, जॉर्डन, इराक, सीरिया ने मिलकर फिलिस्तीन के पक्ष में अपनी सेना भेज दी। दुनिया के भूगोल में एक तरफ़ मुस्लिम मुल्क थे और दूसरी तरफ़ दुनिया का इकलौता यहूदी देश इज़रायल।

इज़रायल के ख़िलाफ़ विरोध और विद्रोह

दशक बीते, नरसंहार होते गए, ख़ून का दरिया बहता गया। इज़रायल को फ़िलिस्तीन की सरज़मीं पर एक मोहरे की ज़रूरत थी, जो उनके बीच रह कर इज़रायल के पक्ष में माहौल बनाए। गुज़रते वक़्त के साथ इज़रायल ने फिलिस्तीन में मुस्लिम ब्रदरहुड के नेता शेख़ अहमद यासीन को अपना मोहरा बनाया। इज़रायल ने अहमद यासीन के लिए अपने ख़ज़ाने का मुंह खोल दिया। इज़रायल के पैसों से अहमद यासीन ने ग़ज़ा में ग़रीबों की मदद की और उनका मसीहा बन गया।

शेख़ अहमद यासीन को मोहरा बनाने का प्लान इज़रायली ख़ुफ़िया एजेंसी मोसाद ने बनाया था। इज़रायल ग़ज़ा पट्टी पर क़ब्ज़ा जमाए बैठा था लेकिन वेस्ट बैंक में अब भी इज़रायल के ख़िलाफ़ विरोध और विद्रोह था। विरोध की आग को हवा देने वाले संगठन का नाम था फिलिस्तीन लिब्रेशन ऑर्गनाइजेशन यानी PLO।

1973 में इज़रायल पर अटैक

यासिर अराफ़ात के नेतृत्व में फिलिस्तीन लिब्रेशन ऑर्गनाइजेशन ने 1973 में इज़रायल पर अटैक कर दिया। इज़रायल को लगा कि शेख़ अहमद यासीन ने जो काम किया यासिर अराफ़ात उसमें पलीता लगा चुके हैं। मोसाद का दिमाग़ चलने वाला था कि साल 1987 में जबालिया में इज़रायली सैनिकों के एक ट्रक ने एक कार को टक्कर मार दी। जबालिया में एक रिफ्यूजी कैंप था, जिसमें फिलिस्तीनी रहते थे। इस एक्सीडेंट की आग ने समूचे फ़िलिस्तीन को अपनी ज़द में ले लिया। जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हुए जो बाद में विद्रोह यानि ‘इंतिफादा’ में तब्दील हो गया। फिलिस्तीनियों ने इज़रायली सैनिकों पर लाठी-डंडों और पत्थरों से हमले शुरू कर दिए।

यासीन को फंड कर रहा है इज़रायल

इज़रायल ने शेख़ अहमद यासीन की मदद से ग़ज़ा पट्टी पर जो सपना देखा था, वो चकनाचूर होता नज़र आने लगा। फ़िलिस्तीनी समझ चुके थे कि यासीन को इज़रायल फंड कर रहा है। शेख़ अहमद यासीन के ख़िलाफ़ भी ‘इंतिफादा’ में आवाज़ उठने लगी। इज़रायल का मोहरा कमज़ोर पड़ने लगा था। ग़ज़ा का इलाक़ा इज़रायल से जाता रहा और वेस्ट बैंक पर PLO मज़बूत होता रहा। इंतिफ़ादा की आग शांत करने के लिए मोसाद ने मास्टरप्लान बनाया। शेख़ अहमद यासीन पर फिर दांव लगा और उसे एक मिलिटेंट संगठन बनाने को राज़ी किया गया। मोसाद को अंदाज़ा नहीं था कि यहीं से हमास के हैवानों का जन्म होना है। पूरे फिलिस्तीन पर क़ब्ज़ा जमाने की नीयत से यासीन के ज़रिए इज़रायल ने एक मिलिटेंट संगठन बनाया।

इज़रायल का सबसे बड़ा दुश्मन हमास है

नए संगठन का नाम था हरक़त अल-मुक़ावमा अल-इस्लामिया यानी हमास। PLO के ख़ात्मे के लिए इज़रायल ने हमास को ख़ूब खाद पानी दिया। दुष्परिणाम ये हुआ कि हमास ग़ज़ा और वेस्ट बैंक में हद से ज़्यादा ताक़तवर हो गया। हमास की ताक़त इतनी बढ़ गई थी कि एक वक़्त आते आते उसने फ़िलिस्तीन से मोसाद और न ही इज़रायल को ही किनारे लगा दिया। आज इज़रायल का सबसे बड़ा दुश्मन वही हमास है, जिसे उसने ख़ुद पैदा किया। ये लगभग वैसा ही है कि अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान पर क़ब्ज़ा करने के लिए तालिबान बनाया, बाद में वो ही अमेरिका का भस्मासुर बन गया।

Read More: 

Rashid Hashmi

Recent Posts

‘सांसद होकर दंगे के लिए….’ संभल हिंसा पर भड़के नरसिंहानंद सरस्वती, सांसद जियाउर्रहमान को दी गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी!

Sambhal Violence: उत्तर प्रदेश के संभल में सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई है। जहां जामा मस्जिद…

31 minutes ago

Back Pain: कमर दर्द को न करें नजरअंदाज, हो सकता है खतरनाक

India News(इंडिया न्यूज़), Back Pain: अगर आप लंबे समय से कमर दर्द से परेशान हैं…

4 hours ago

संभल में मुसलमानों के साथ …’, हिंसा के बाद बरसे मौलाना मदनी ; योगी सरकार पर लगाया ये बड़ा आरोप

India News UP(इंडिया न्यूज़),Maulana Madani on Sambhal Controversy: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद…

8 hours ago