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India News (इंडिया न्यूज़),Israel-Hamas War: इज़रायल-हमास जंग का दो हफ़्ता गुज़र चुका है, ना इज़रायल रुक रहा है, और ना ही हमास झुक रहा है। दुनिया विश्वयुद्ध की आग से पहले वाली तपिश झेल रही है। इज़रायल हमास के अलावा हिज़बुल्ला की भी चुनौती झेल रहा है। हमास के कई कमांडर मारे जा चुके हैं, फिर भी आतंकवादी संगठन ज़िंदा है।
जंग का नतीजा जो भी हो, इतना तय है कि दुनिया सबसे बड़े ‘फ्यूल क्राइसिस’ की ओर बढ़ रही है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन से लेकर ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक तक ‘वॉर टूरिज़्म’ पर हैं। ‘वॉर टूरिज़्म’ इसलिए क्योंकि ये सभी राष्ट्राध्यक्ष इज़रायल को ‘टैक्टिकल, टेक्निकल, मेडिकल, क्लीनिकल’ सपोर्ट देने का दावा कर रहे हैं। कोई जंग के मैदान में सीधे नहीं उतरेगा बस बाहर से समर्थन देता रहेगा। मतलब साफ़ है कि हालात ठीक वैसे हैं, जैसे रूस-यूक्रेन जंग के बाद बने थे।
याद रखिएगा कि यूंही बाहर से समर्थन देते देते पहला और दूसरा विश्वयुद्ध हो गया था। पहले वर्ल्ड वॉर में यूरोप, एशिया और अफ्रीका जैसे महाद्वीपों ने ज़मीन से लेकर आसमान और समंदर तक को हिला डाला। रूस, जर्मनी, ऑस्ट्रिया का वजूद ढह गया, और अमेरिका दुनिया की पहली महाशक्ति बना। दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत जर्मनी और पोलैंड के बीच संघर्ष से हुई। दुनिया मित्र देश और धुरी देश में बंट गई।
एक तरफ़ अमेरिका, सोवियत संघ, फ्रांस और ब्रिटेन थे तो दूसरी ओर इटली, जर्मनी और जापान खड़े थे। ये वो दौर था जब दुनिया ने जोसेफ़ स्टालिन, फ्रैंकलिन रूज़वेल्ट, विंस्टन चर्चिल, एडोल्फ़ हिटलर, बेनिटो मुसोलिनी जैसे ज़िद्दी राष्ट्राध्यक्षों को देखा। दोनों विश्वयुद्ध चिंगारी से शुरू हुए, ज्वालामुखी बने और जब फटे तो सिर्फ़ तबाही ही तबाही थी। ऐसी तबाही की आहट फिर होने लगी है। हम ठहरे टीवी वाले, सो लिखते हैं।
टेलीविजन न्यूज़ चैनल पर अलंकारों से सुशोभित इन शब्दों के मायने हैं, ये महज़ तुकबंदी नहीं है। इन शब्दों में ख़तरे की वो आहट है जिसकी ज़द में दुनिया आने वाली है। पुतिन भड़के पड़े हैं, ईरान ललकार रहा है, ब्रिटेन ग़ुस्से में हैं। फ्रांस चेतावनी दे रहा है जर्मनी लाल हुआ पड़ा है।
रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन-ताइवान तनाव, इज़रायल-हमास जंग, अर्मेनिया-अज़रबैजान तनाव दुनिया के वो वॉर फ्रंट हैं जो तीसरे विश्वयुद्ध के संकेत देने लगे हैं। तीसरा विश्वयुद्ध हुआ तो पश्चिम की लिबरल और पूंजीवादी ताक़त एक तरफ़ होगी और ये मुल्क़ हैं अमेरिका, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, यूरोप के देश, जापान, ऑस्ट्रेलिया।
विपक्षी खेमे में रूस के साथ बेलारूस, ईरान, सीरिया, वेनेजुएला जैसे देश होंगे। चीन जैसे मुल्क़ पेंडुलम जैसे कभी इधर तो कभी उधर कर सकते हैं। साल 2022 के दिसंबर में अंतर्राष्ट्रीय फ़र्म Ipsos ने सर्वे कराया, 34 देशों के ज़्यादातर लोगों ने माना कि जल्द ही तीसरा विश्व युद्ध हो सकता है। हिंदुस्तान के 79 फ़ीसदी लोगों ने इस सर्वे में तीसरे विश्वयुद्ध की आशंका जताई।
तीसरा विश्वयुद्ध हुआ तो परमाणु ताक़त का इम्तिहान पूरी दुनिया को कितना तबाह करेगा इसका अंदाज़ा लगाने भर से रूह कांप जाती है। फ्यूल क्राइसिस, भुखमरी, महंगाई, ग्लोबल सप्लाई चेन, महामारी, पलायन का महाविस्फोट विश्व विस्फोटक होगा। डिफ़ेंस एक्सपर्ट टीवी डिबेट में आधे कॉन्टिनेंट के सफ़ाए की बात कर रहे हैं तो अमेरिका के बिज़नेसमैन जॉर्ज सोरोस ने मौजूदा दौर को ख़तरे का अलार्म बताया है।
दुनिया के तीन तानाशाहों का रवैया डराने वाला है। पुतिन, जिनपिंग और किम जोंग विनाशकारी सिग्नल दे रहे हैं। तीसरा विश्वयुद्ध हुआ तो भारत एक नई ताक़त बन कर उभरेगा। हिंदुस्तान न्यू वर्ल्ड ऑर्डर का अगुआ बनने का माद्दा रखता है। भारत की अर्थव्यवस्था में मज़बूती, कूटनीति में ताक़त और डिफ़ेंस का लोहा पूरी दुनिया मान चुकी है। भारत पश्चिमी देशों से एक साल में क़रीब 500 बिलियन डॉलर का कारोबार करता है।
जो ये बताने के लिए काफ़ी है कि हर लिहाज़ से भारत दुनिया की ज़रूरत बन चुका है। तीसरा विश्वयुद्ध हुआ तो भारत के लिए मौक़ा और धार्मिक चरमपंथियों का विनाश तय है। उम्मीद है कि विनाश की टिकटिक को फ़िलिस्तीन, रूस, सीरिया, ईरान, उत्तर कोरिया जैसे मुल्क़ वक़्त रहते सुनेंगे और विस्फोट से विश्व को बचाएंगे। वक़्त रहते तबाही की टिकटिक बंद नहीं हुई तो हम टीवी वाले लिखने को मजबूर होंगे।
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