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India News (इंडिया न्यूज), Iran President Masoud Pezeshkian, Israel-Iran War: ईरान और इजरायल जंग के बीच ईरान के राष्ट्रपति पेजेशकियन ने एशियाई देशों से सहायता की गुहार लगाई है। थाईलैंड के प्रधानमंत्री पटोंगटार्न शिनावात्रा से मुलाकात के दौरान, पेजेशकियन ने एशियाई देशों से इजराइल के खिलाफ एकजुट होने की अपील की। इस समय, इजराइल और ईरान के बीच तनाव का प्रमुख कारण ईरान का परमाणु कार्यक्रम है। ईरान द्वारा इजराइल पर की गई जवाबी कार्रवाई के बाद क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया है।
थाईलैंड के प्रधानमंत्री से मुलाकात के दौरान, पेजेशकियन ने क्षेत्रीय संगठनों जैसे एशिया सहयोग वार्ता का सहारा लेने की बात कही, ताकि इजराइली हस्तक्षेप को रोका जा सके। उन्होंने इजराइल पर महिलाओं और बच्चों की हत्या और नागरिक ठिकानों पर हमले का आरोप भी लगाया।
पेजेशकियन यह अच्छी तरह से समझते है कि अरब देशों का समर्थन पाना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि अधिकांश अरब देश अमेरिका और इजराइल के करीब हैं। फिर भी, ईरान लगातार अरब और इस्लामिक देशों से इजराइल के साथ व्यापार खत्म करने की अपील करता रहा है। दूसरी ओर, अमेरिका, ब्रिटेन, और जर्मनी जैसे पश्चिमी देश इजराइल के साथ मजबूती से खड़े हैं।
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ईरान को एशिया के बड़े खिलाड़ी, विशेषकर भारत से बहुत उम्मीदें हैं। भारत की साख एशिया और पश्चिमी देशों में मजबूत है और अगर भारत इस क्षेत्रीय तनाव को कम करने के लिए आगे आता है, तो यह अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों का समर्थन प्राप्त कर सकता है। भारत का ‘दो राष्ट्र समाधान’ का समर्थन और एशिया में उसकी आर्थिक स्थिति इस संघर्ष को कम करने में अहम भूमिका निभा सकती हैं।
पेजेशकियन को उदारवादी विचारधारा के माने जाते है। शुरू में वह भी इजरायल के खिलाफ आक्रामक के पक्ष में नहीं थे। उनको यह पता है कि अगर संघर्ष बढ़ता है, तो इसका ईरान के लिए गंभीर परिणाम हो सकता है। शुरुआती संकोच के बाद, पेजेशकियन को जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी, लेकिन उन्हें इस बढ़ते संघर्ष के संभावित खतरों का अंदाजा है। ऐसे में एशियाई देशों से समर्थन की उनकी अपील महत्वपूर्ण हो जाती है।
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