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India News (इंडिया न्यूज़), Iran Israel Conflict: ईरान और इजरायल के बीच लगातार तनाव बढ़ता जा रहा है। दोनों देश युद्ध के लिए आतुर हैं। हमास प्रमुख हनीया और हिजबुल्लाह प्रमुख नसरल्लाह की हत्या के बाद यह आशंका जताई जा रही थी कि ईरान इजरायल पर जवाबी कार्रवाई करेगा। इसके साथ ही खबर आई है कि उसने मंगलवार (1 अक्टूबर) को इजरायल पर करीब 200 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं है। ईरान और इजरायल के बीच बढ़ता तनाव भारत के लिए चिंता का विषय बन गया है। मध्य पूर्व के ये दो देश ऐसे हैं जिनके साथ भारत के अच्छे संबंध हैं, लेकिन जब सबसे खास और सबसे अहम की बात आती है तो कहीं न कहीं इजरायल ईरान से बाजी मार जाता है। पिछले 5 सालों में जहां भारत और इजरायल के बीच व्यापार दोगुना हो गया है, वहीं इस दौरान ईरान और भारत के बीच व्यापार में कमी आई है।
इसको लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि व्यापार में बढ़ोतरी दोनों देशों के बीच मजबूत होते रिश्तों का प्रमाण है। इजरायल ने कभी भी भारत के खिलाफ कोई बयान नहीं दिया है और न ही उसके किसी फैसले पर कभी सवाल उठाया है। लेकिन ईरान के साथ ऐसा समय-समय पर देखने को मिलता रहा है। पिछले महीने ही ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने भारत में मुसलमानों को लेकर चिंता जताई थी।
बता दें कि, भारत ने साल 1992 में इजराइल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए थे। तब से दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत हुए हैं। इस दौरान व्यापार में काफी वृद्धि भी हुई है। 1992 में जो करीब 200 मिलियन डॉलर था, वह वित्त वर्ष 2022-23 में बढ़कर 10.7 बिलियन डॉलर हो गया। पिछले चार सालों में इसमें तेजी से वृद्धि हुई है। यह दोगुना हो गया। यह 2018-19 में 5.56 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2022-23 में 10.7 बिलियन डॉलर हो गया। 2021-22 और 2022-23 के बीच व्यापार में 36.90 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
दरअसल, 2022-23 में भारत का इजराइल को निर्यात 8.45 बिलियन डॉलर था, जबकि नई दिल्ली का इजराइल से आयात 2.3 बिलियन डॉलर था। वित्त वर्ष 2023-24 में पहले 10 महीनों (अप्रैल-जनवरी) के दौरान द्विपक्षीय व्यापार 5.75 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया। उस वर्ष इजराइल भारत का 32वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था, जो वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान भारत के कुल 1,167 अरब डॉलर के व्यापार का 0.92 प्रतिशत था। विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत एशिया में इजराइल का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और वैश्विक स्तर पर सातवां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। वर्तमान में इजराइल में करीब 18 हजार भारतीय हैं।
भारत के लिए जिस तरह इजरायल जरुरी है, उसी तरह से ईरान भी भारत के लिए महत्वपूर्ण है। ऐतिहासिक रूप से भारत के ईरान के साथ अच्छे संबंध रहे हैं। दोनों के बीच मजबूत व्यापारिक संबंध भी हैं। खासकर ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के निर्माण के क्षेत्र में। भारत ने हाल ही में ईरान में स्थित रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह को 10 साल के लिए संचालित करने का अधिकार हासिल किया है। इसके साथ ही भारतीय कंपनियां ईरान से सस्ता तेल खरीदती हैं।
हालांकि, इजरायल के मुकाबले ईरान के साथ भारत का व्यापार कम हुआ है। वित्त वर्ष 2022-23 में ईरान भारत का 59वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। इसके साथ ही द्विपक्षीय व्यापार 2.33 अरब डॉलर तक पहुंच गया। वित्त वर्ष 2022-23 में बढ़ोतरी से पहले ईरान के साथ भारत के व्यापार में संकुचन देखा गया था। 2021-22 में इसमें 21.77 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। यह 2022-23 में 1.94 अरब डॉलर से बढ़कर 2.33 अरब डॉलर हो गया। नागरिकों की बात करें तो ईरान में पांच से दस हजार भारतीय रह रहे हैं। भारत को तेल आपूर्ति करने वाले शीर्ष देश सऊदी अरब और ईरान पश्चिम एशिया में हैं।
ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव का असर कच्चे तेल पर पड़ेगा। भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है और इसकी कुल खपत का 7 फीसदी हिस्सा सऊदी अरब, कुवैत, इराक से आता है। ऐसे में यह युद्ध भारत के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है। कच्चे तेल के अलावा भारत और इजरायल के बीच हथियारों समेत अरबों डॉलर का व्यापार होता है, जो इस युद्ध से प्रभावित हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है।
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