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India News (इंडिया न्यूज), Jaishankar On Russia-Ukraine War: भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दोहा फोरम में रूस-यूक्रेन युद्ध पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि भारत की भूमिका इस युद्ध को बातचीत के जरिए हल करने की है, न कि युद्ध को बढ़ावा देने की। उन्होंने कहा कि सुई युद्ध जारी रखने की बजाय बातचीत की वास्तविकता की ओर अधिक बढ़ रही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत हमेशा से शांतिपूर्ण समाधान का पक्षधर रहा है और यह नीति उसे वैश्विक मंच पर प्रभावशाली बनाती है। जयशंकर ने कहा कि भारत ने इस युद्ध में तटस्थ रहते हुए दोनों पक्षों से बातचीत की है। उन्होंने आगे कहा कि हमने रूस और यूक्रेन दोनों के साथ संवाद बनाए रखा है।
एस. जयशंकर ने कहा कि भारत ने मॉस्को में राष्ट्रपति पुतिन और कीव में राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात की है और पारदर्शी तरीके से एक-दूसरे के साथ संदेश साझा किए हैं। उनके अनुसार, भारत का उद्देश्य एक साझा सूत्र खोजना है, जिसका उपयोग भविष्य में किया जा सके, ताकि युद्ध की खामोशी को तोड़ा जा सके और शांति की प्रक्रिया में कोई बाधा न आए। जयशंकर ने आगे कहा कि भारत इस संघर्ष से प्रभावित वैश्विक दक्षिण के हितों को भी आगे ला रहा है। उन्होंने आगे कहा कि भारत ने 125 अन्य देशों की भावनाओं और जरूरतों को ध्यान में रखते हुए यह सुनिश्चित किया है कि उनका ध्यान इस युद्ध से पैदा हुई समस्याओं जैसे ईंधन, खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों, मुद्रास्फीति और उर्वरकों की बढ़ती लागत पर रहे।
बता दें कि, भारत का यह दृष्टिकोण वैश्विक कूटनीति में उसके नेतृत्व और साझेदार समाधानों की दिशा में ठोस कदम को दर्शाता है। जयशंकर के अनुसार, भारत ने संघर्ष के सभी पक्षों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाने की कोशिश की है। जिससे दुनिया में शांति और स्थिरता की दिशा में एक नया रास्ता खुल सकता है। दरअसल, इस दृष्टिकोण के साथ भारत ने अपनी स्थिति स्पष्ट की है और संकेत दिया है कि वह संघर्षों को सुलझाने में हमेशा साझेदारी और संवाद की ओर बढ़ेगा, न कि सैन्य विकल्पों की ओर। भारत का यह दृष्टिकोण यह भी साबित करता है कि वह वैश्विक दक्षिण के हितों को प्राथमिकता देते हुए संघर्षों को सुलझाने में सक्रिय भूमिका निभा सकता है।
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