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India News (इंडिया न्यूज), Mauritius Route: हिंडनबर्ग ने पिछली बार अडानी ग्रुप को निशाना बनाते हुए एक रिपोर्ट जारी किया था। जिसके बाद अडानी ग्रुप को बहुत बड़ा झटका लगा था। लेकिन इस बार हिंडनबर्ग ने अपने रिपोर्ट में सीधे तौर पर बाजार नियामक सेबी पर हमला बोला है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है कि सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच भी अडानी ग्रुप से मिली हुई हैं। इस वजह से ही उन्होंने 18 महीने में भी अडानी ग्रुप के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। आपको बता दें कि अमेरिका की शार्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग का आरोप है कि अडानी ग्रुप के विदेशी फंड में माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच के भी शेयर हैं। दोनों ने फंड में जटिल स्ट्रक्चर के माध्यम से पैसा लगाया है। ठिक वैसे ही जैसे गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी ने किया था। जान लें कि जिस फंड की बात हो रही है कि माधबी और उनके पति द्वारा उसमें पैसा लगाया गया है इसका नाम है ‘आईपीई प्लस फंड’। ये मॉरीशस में रजिस्टर्ड है।
हिंडनबर्ग ने पहले भी अडानी समूह पर जारी रिपोर्ट में भी मॉरीशस रूट से पैसा घूमाने का आरोप लगा था। अब फिर मॉरिशस का नाम उछल रहा है। जान ले कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट के आने से पहले भी काले धन को सफेद करने के लिए यह ‘बदनाम गली’ काफी ज्यादा कुख्यात रही। इसकी वजह से शेयर मार्केट में मॉरीशस रुट पर समय-समय पर हल्ला मचा=ता रहता है। चले जानते हैं आइये जानते हैं कि आखिर ‘मॉरिशस रूट’ है क्या? क्यों इसका इस्तेमाल भारत में पैसा लगाने को होता है?
मॉरिशस रूट एक ऐसा माध्यम हो गया जिससे लोग काले धन को भारत से बाहर निकाल कर वापस इंडियन मार्केट में लगाने का जरिया बन गया है। ऐसा बहुत सी कंपनियां हैं जो कि काले धन को सफेद में बदलने के लिए इसका इस्तेमाल करती है। अमेरिका, सिंगापुर और लक्ज़मबर्ग तो है ही लेकिन इनके बाद फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टमेंट (FPI) के मामले में मॉरीशस भारत का चौथा सबसे बड़ा जरिया बन गया है।
मॉरिशस बहुत तेजी से अब एक टैक्स हेवन बन चुका है। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां कम टैक्स लगता है। गौरतलब हो कि भारत और मॉरीशस के बीच एक खास समझौता हुआ है। दोनों देशों ने डबल टैक्सेशन से कंपनियों को छूट प्रदान की है। इसके अनुसार कई भी कंपनी केवल दोनों में से किसी एक कंपनी में ही टैक्स देगी। ऐसे में कम टैक्स लगने की वजह से मॉरीशस एक अच्छा ऑप्शन है।
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