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India News (इंडिया न्यूज),Iran Israel War:इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद की ताकत का लोहा पूरी दुनिया मानती है। गाजा में हमास हो या लेबनान में हिजबुल्लाह, इजराइल की खुफिया एजेंसियों का खुफिया तंत्र हमेशा से मजबूत रहा है। इजराइल की खुफिया एजेंसियों की ताकत का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि उन्हें पहले से ही पता था कि हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह एक बंकर में छिपा हुआ है। इसके बाद 27 सितंबर को हवाई हमले में हसन नसरल्लाह मारा गया। इससे पहले भी हमास, हिजबुल्लाह और ईरान कई मंसूबों पर पानी फेर चुके हैं। इसमें ईरानी परमाणु दस्तावेजों की चोरी भी शामिल है।
सीएनएन को दिए एक इंटरव्यू में ईरान के पूर्व राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद ने इजराइली एजेंसी मोसाद को लेकर कई चौंकाने वाले दावे किए हैं। महमूद अहमदीनेजाद ने कहा कि कुछ साल पहले इजराइली जासूसी प्रयासों को विफल करने के लिए एक ईरानी खुफिया इकाई बनाई गई थी, जिसका प्रमुख बाद में एक इजराइली एजेंट निकला। इसके अलावा महमूद ने बताया कि यूनिट के प्रमुख के अलावा डिवीजन के 20 और लोग भी इजरायली एजेंसी मोसाद के एजेंट पाए गए। इसके अलावा महमूद ने बताया कि 2018 में विदेशी एजेंटों द्वारा ईरानी परमाणु दस्तावेजों की चोरी और प्रमुख परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या के पीछे खुफिया एजेंसियों का हाथ था। ईरान के पूर्व राष्ट्रपति ने माना कि इजरायली एजेंसी ने उनके देश की खुफिया सेवाओं पर भी घात लगाकर हमला किया है।
अगर ईरान का परमाणु कार्यक्रम आज तक सफल नहीं हो पाया है तो इसके पीछे एक बड़ा कारण इजरायल है। इजरायल कभी नहीं चाहेगा कि ईरान परमाणु संपन्न देश बने। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने 2018 में इसका खुलासा किया था।
उन्होंने कहा था कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम के बड़ी संख्या में दस्तावेज इजरायली एजेंटों के हाथ लगे हैं। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने भी इस खबर की पुष्टि की और कहा कि तेहरान में एक ऑपरेशन के जरिए दस्तावेजों को जब्त किया गया है। इस ऑपरेशन में मोसाद के एजेंट तेहरान के एक गुप्त गोदाम में घुसे और छह घंटे तक चले ऑपरेशन में तिजोरी तोड़कर 100,000 से ज़्यादा दस्तावेज़ लूटकर ले गए। देश के अंदर हुए इस ऑपरेशन के सामने आने के बाद ईरान को काफ़ी शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी।
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