India News (इंडिया न्यूज़) Myanmar Conflict News : म्यांमार में लोकतंत्र समर्थक आंग सान सू की को जेल में डालने के बाद भी सैन्य शासन की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। सैन्य शासन (जिसे जुंटा भी कहा जाता है) को इस समय विद्रोही समूहों से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
जुंटा के लिए सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि यह संघर्ष उत्तरी शान प्रांत और आसपास के इलाकों में चल रहा है जो चीनी सीमा के करीब हैं। तीन जातीय समूह – एमएनडीएए, एए और टीएनएलए – आंग मिन ह्लाइंग के नेतृत्व वाले जुंटा शासन के खिलाफ लड़ रहे हैं।
विद्रोही गठबंधन को रविवार को एक बड़ी सफलता हासिल हुई जब उन्होंने चीन से लगी सीमा पर कब्ज़ा कर लिया। विद्रोही गुटों के बीच बेहद समन्वय देखने को मिल रहा है। कई शहरों और 100 से ज्यादा सुरक्षा चौकियों पर कब्जा कर लिया गया है। उत्तरी आक्रामकता से प्रोत्साहित होकर, लोकतंत्र समर्थक मिलिशिया ने देश में अन्य जगहों पर सुरक्षा बलों पर हमले तेज कर दिए हैं।
जुंटा के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं क्योंकि उनकी आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत नहीं है। इसका एक कारण यह है कि कई व्यावसायिक मार्ग विद्रोहियों के नियंत्रण में आ गये हैं। म्यांमार-चीन सीमा पर एक प्रमुख व्यापारिक बिंदु, क्यिन सैन क्यावत में अपना झंडा फहराया है। सभी जरूरी सामान यहीं से देश में आते हैं।
म्यांमार में चल रहे इस संघर्ष से चीन सतर्क हो गया है। इस लड़ाई से वह परेशान है। बीजिंग ने अपने नागरिकों से उत्तरी म्यांमार छोड़ने का आग्रह किया है और शनिवार को म्यांमार के साथ अपनी सीमा पर सैन्य अभ्यास भी शुरू किया है। चीनी सेना का कहना है कि यह अभ्यास सीमाओं को नियंत्रित करने और बंद करने की उसकी क्षमता का परीक्षण करने के लिए शुरू किया गया है।
म्यांमार के इस संघर्ष का असर भारत पर भी पड़ रहा है। म्यांमार की घटनाओं पर भारत की पैनी नजर है। नवंबर की शुरुआत में म्यांमार के कई सैनिक भारत में घुस आए थे। ये सैनिक विद्रोहियों से बचकर भारतीय क्षेत्र में पहुँच गये। नवंबर में म्यांमार से करीब 5000 लोग मिजोरम आये। बताया जा रहा है कि उन्होंने राज्य के दो गांवों में शरण ले रखी है।
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