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Uttarkashi Tunnel Rescue: उत्तरकाशी में फिर लगा दो घंटे का ब्रेक, ये है वजह

Rajesh kumar • LAST UPDATED : November 28, 2023, 8:01 pm IST

India News(इंडिया न्यूज),Uttarkashi Tunnel Collapse: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सिल्क्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बचाने का अभियान 17वें दिन भी जारी है। मजदूरों को निकालने के लिए पाइप बिछाने के बाद मजदूरों को एयरलिफ्ट करने के लिए सुरंग के पास चिनूक को लाया गया है। टनल में पाइप काटने के बाद 800 mm का पाइप डालने के दौरान कंपन की वजह से मलबा फिर आया। मज़दूरों के बाहर आने में अभी कम से कम दो घंटे का समय लग सकता है। पाइप लगाने के बाद मजदूरों को बाहर लाने का सिलसिला शुरू हो जाएगा।

मंत्री वीके सिंह सहित बड़े अधिकारी टनल के भीतर गए

किसी भी वक़्त टनल खुल सकती है। केंद्रीय मंत्री वीके सिंह सहित बड़े अधिकारी टनल के भीतर गए हैं। एनडीआरएफ के जवान भीतर जा रहे हैं। स्ट्रेचर, गद्दे और बेड टनल के भीतर ले जाये जा रहे हैं। साथ ही एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के एक-एक जवान अंदर जाएंगे और एक-एक करके 41 मजूदरों को बाहर लाया जाएगा। इसके बाद उनका चैप अप किया जाएगा।

क्या है रैट होल माइनिंग?

सिल्क्यारा सुरंग में बाकी हॉरिजेंटल खुदाई मैन्युअल विधि से की जा रही है। इसमें सुरंग बनाने में विशेष कौशल रखने वाले व्यक्तियों को चुना गया है। इन्हें रैट-होल माइनर कहा जाता है। रैट-होल माइनिंग अत्यंत संकीर्ण सुरंगों में की जाती है. कोयला निकालने के लिए माइनर्स हॉरिजेंटल सुरंगों में सैकड़ों फीट नीचे उतरते हैं। चुनौतीपूर्ण इलाकों खासकर मेघालय में कोयला निकालने के लिए इसका विशेष तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।

बता दें कि 2014 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मजदूरों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस पर प्रतिबंध लगा दिया था। एनजीटी द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के बावजूद, अवैध रूप से रैट-होल खनन जारी है। उत्तराखंड सरकार के नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल ने स्पष्ट किया कि रेस्क्यू साइट पर लाए गए लोग रैट माइनर्स नहीं बल्कि इस तकनीक में विशेषज्ञ लोग हैं।

इतने दिनों से सुरंग में फंसे हैं मजदूर

उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिलक्यारा सुरंग केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी चारधाम ‘ऑल वेदर सड़क’ (हर मौसम में आवाजाही के लिए खुली रहने वाली सड़क) परियोजना का हिस्सा है। ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही यह सुरंग 4.5 किलोमीटर लंबी है। 12 नवंबर को सुरंग का एक हिस्सा ढह गया। इससे मजदूर सुरंग के अंदर ही फंस गए। इन्हें निकलने के लिए 16 दिन से रेस्क्यू अभियान जारी है। लेकिन अभी तक कोई खास सफलता नहीं मिली।

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