संबंधित खबरें
ट्रंप ने किया बड़ा खेला, अपने शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया भारत के दुश्मन को, क्या आने वाले समय में बढ़ने वाली है नई दिल्ली की टेंशन?
'रेगिस्तान का गुलाब' से लेकर 'जहन्नुम की फर्स्ट लेडी' तक…, जानें कौन है दुनिया के सबसे खतरनाक तानाशह की पत्नी
इस मुस्लिम देश में मची तबाही.., मंत्री समेत कई लोगों की मौत, मंजर देख कांप गए दुनिया भर के मुसलमान
‘हद में रहे इंडिया’, Bagladesh के इस हिन्दू नेता ने भारत को दी कड़ी नसीहत, क्या करेंगे PM Modi?
भारत नहीं अपने ही लोगों के वजह से कंगाल हो जाएगा पाकिस्तान, इमरान खान ने बनाया ऐसा प्लान…डिटेल जान सदमे में पाक सेना
भारत विरोधी काम से बाज नहीं आ रहे Yunus, अब इंडिया से बड़ी ताकत छीनना चाहता है बांग्लादेश, अगर ऐसा हुआ तो गिर जाएगी PM Modi की साख
India News (इंडिया न्यूज),Iran: ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने सीरिया में तख्तापलट पर अपना संबोधन दिया। उन्होंने अमेरिका और इजरायल पर असद सरकार के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया। खामेनेई ने कहा कि किसी को इस बात पर संदेह नहीं होना चाहिए कि सीरिया में जो कुछ भी हुआ, वह अमेरिका और इजरायल की साजिश का हिस्सा है। ईरान के सुप्रीम लीडर ने अपने संबोधन में सीरिया के एक पड़ोसी देश पर निशाना साधते हुए अमेरिका और इजरायल को मुख्य साजिशकर्ता बताया। उन्होंने किसी देश का नाम लिए बिना कहा, ‘सीरिया के एक पड़ोसी देश ने इस मामले में मुख्य भूमिका निभाई है और वह ऐसा करता रहता है, यह सभी देख सकते हैं।’
ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई ने कहा कि हमारे पास इसके सबूत हैं जिससे किसी को शक की कोई गुंजाइश नहीं है, इसलिए उनके बयान से सवाल उठता है कि सुप्रीम लीडर सीरिया के किस पड़ोसी देश की ओर इशारा कर रहे हैं? अगर सीरिया की सीमा रेखाओं पर नजर डालें तो लेबनान, इजरायल, जॉर्डन, इराक और तुर्की इसके पड़ोस में हैं। इस पूरी घटना में इराक लगातार ईरान के संपर्क में रहा है और ईरान के फैसले का इंतजार करता रहा है। दूसरी ओर लेबनान में हिजबुल्लाह की मौजूदगी के कारण ईरान उस पर भरोसा करता है।
सुप्रीम लीडर ने अपने संबोधन में खुलकर इजराइल का नाम लिया है, इसलिए अब जॉर्डन और तुर्की बच गए हैं। 27 नवंबर से सीरिया में चल रही घटना के लिए तुर्की पर लगातार आरोप लग रहे हैं, लेकिन खामेनेई के संबोधन के बाद शक की सुई जॉर्डन की ओर भी घूम गई है, जानिए क्यों?
A government in a neighboring country of Syria has played and is still playing a clear role in what’s happening. However, the primary conspirators and control room are in the United States and the Zionist regime. We have evidence of this that leaves no room for doubt for anyone.
— Khamenei.ir (@khamenei_ir) December 11, 2024
मध्य पूर्व के अरब देशों में इजराइल एकमात्र यहूदी देश है। ईरान ने इसके इर्द-गिर्द अपने प्रॉक्सी स्थापित करने की कोशिश की है, लेकिन एक इस्लामिक देश ऐसा है जिसने ईरान के मंसूबों को कभी पूरा नहीं होने दिया। अप्रैल में जब ईरान ने सीरिया में अपने दूतावास के पास हुए हमले के जवाब में इजराइल के खिलाफ कार्रवाई की, तो जॉर्डन सुरक्षा कवच बनकर खड़ा हो गया। ईरान द्वारा दागे गए ज्यादातर ड्रोन और मिसाइलों को जॉर्डन ने अपने हवाई क्षेत्र में ही मार गिराया। 1 अक्टूबर को जब ईरान ने इजराइल पर करीब 180 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, तो जॉर्डन ने उन्हें अपनी सीमा में रोकने की कोशिश की। हालांकि, जॉर्डन ने दलील दी कि ये मिसाइलें उसकी सीमा में गिर सकती थीं।
जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला द्वितीय को अमेरिका का करीबी माना जाता है और वे खुलकर इजरायल की मदद करते रहे हैं। करीब 125 मिलियन की आबादी वाले सुन्नी बहुल अरब देश जॉर्डन में अमेरिका का सैन्य अड्डा भी है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि वे फिलिस्तीनियों के अधिकारों की वकालत करते रहे हैं। जॉर्डन में सीरियाई और फिलिस्तीनी शरणार्थियों की संख्या लाखों में है। इराक युद्ध, सीरियाई गृहयुद्ध और फिलिस्तीन पर इजरायली हमले ने जॉर्डन में शरणार्थियों की संख्या को लगभग मूल आबादी के बराबर कर दिया है। अनुमान है कि 1.15 करोड़ की जॉर्डन की आबादी में करीब 35 लाख फिलिस्तीनी शरणार्थी और 10 लाख सीरियाई शरणार्थी हैं।
तुर्की सीरिया का पड़ोसी देश है और सीरिया की सबसे लंबी 909 किलोमीटर की सीमा उसके साथ साझा करता है। जॉर्डन की तरह तुर्की भी सुन्नी बहुल देश है। देश के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन फिलिस्तीन मुद्दे पर इजरायल पर हमला करते रहे हैं, लेकिन उन पर गाजा पर इजरायली हमले के बावजूद तेल अवीव के साथ व्यापारिक संबंध बनाए रखने का आरोप है। उन्होंने हाल ही में इजराइल से सभी रिश्ते खत्म करने का ऐलान किया था, लेकिन आरोप हैं कि एर्दोगान सीरिया मुद्दे पर पर्दे के पीछे से इजराइल और अमेरिका का समर्थन कर रहे थे। दरअसल, तुर्की में करीब 32 लाख सीरियाई शरणार्थी रहते हैं, जो देश के लिए बड़ा स्थानीय संकट बन गए हैं। इसके अलावा सीरियाई सीमा पर मौजूद कुर्द लड़ाके भी उसके लिए बड़ा खतरा हैं। इजराइल के बाद अगर सीरिया में तख्तापलट से किसी को बड़ा फायदा होता दिख रहा है तो वो है तुर्की। एर्दोगान समर्थित लड़ाकों और तुर्की सेना ने उत्तरी सीरिया में कुर्द विद्रोही समूहों के खिलाफ हमले भी शुरू कर दिए हैं। मंगलवार को तुर्की के राष्ट्रपति ने घोषणा की कि वह सीरिया के साथ यायलादागी सीमा खोल रहे हैं ताकि सीरियाई शरणार्थियों की सुरक्षित और स्वैच्छिक वापसी हो सके।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.