Nepal News: नेपाल की अंतरिम सरकार ने “जेन जेड” विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा और 72 मौतों की जाँच के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. दरअसल, उन्होंने उच्च-स्तरीय आयोग का गठन किया है. यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब इन विरोध प्रदर्शनों के कारण पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार को सत्ता से बेदखल होना पड़ा था. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सरकार ने रविवार को घोषणा की कि तीन सदस्यीय आयोग का नेतृत्व नेपाल सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश गौरी बहादुर कार्की करेंगे. पूर्व अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक ज्ञान रण शर्मा और कानूनी विशेषज्ञ बिश्वेश्वर प्रसाद भंडारी भी इसके सदस्य हैं. इस मामले को लेकर मीडिया से बातचीत करते हुए गृह मंत्री ओम प्रकाश आर्यल ने कहा कि आयोग को तीन महीने के अंदर-अंदर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपनी होगी.
‘Gen Z की मांग हुई पूरी
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 8 और 9 सितंबर को काठमांडू में हुई हिंसा की जांच के लिए एक आयोग का गठन ‘जेन जेड’ आंदोलन की माँगों में से एक थी. प्रदर्शन करते दौरान प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट रूप से कहा था कि जाँच शुरू होने तक उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा. वहीं फिर शनिवार को प्रदर्शनकारियों ने पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और पूर्व गृह मंत्री रमेश लेखक की गिरफ्तारी की भी मांग की और उन पर 8 सितंबर की गोलीबारी में शामिल होने का आरोप लगाया जिसमें 19 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी.
जानिए क्या है मामला
‘जेन जेड’ आंदोलन सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोपों और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने के फैसले से भड़का. यह विरोध प्रदर्शन तेज़ी से पूरे देश में फैल गया और बड़ी संख्या में युवाओं को अपनी ओर आकर्षित किया. इसके बाद हुई झड़पों में तीन पुलिस अधिकारियों सहित 72 लोगों की मौत हो गई. प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि सरकार ने जानबूझकर बल प्रयोग किया और एक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन को हिंसक बना दिया.