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New Year 2025:कुछ ही समय में धरती से गायब हो जाएगा वो जगह जहां मनाया जाता है सबसे पहले नया साल, वजह जान कांप जाएगी रुह

BY: Divyanshi Singh • LAST UPDATED : December 31, 2024, 8:38 pm IST
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New Year 2025:कुछ ही समय में धरती से गायब हो जाएगा वो जगह जहां मनाया जाता है सबसे पहले नया साल, वजह जान कांप जाएगी रुह

Happy New Year

India News (इंडिया न्यूज),Happy New Year 2025:नए साल 2025 का सबसे पहले स्वागत करने वाला द्वीप किरिबाती एक बड़े खतरे का सामना कर रहा है। इस समूह के 33 द्वीपों में से कई डूबने की कगार पर हैं। ऐसा ग्लोबल वार्मिंग के कारण हो रहा है। जलवायु परिवर्तन, ग्लेशियरों के पिघलने और समुद्र के गर्म होने के कारण इसके कई हिस्से डूब गए हैं। वैज्ञानिकों ने भविष्यवाणी की है कि 2100 तक किरिबाती के कई द्वीप पूरी तरह समुद्र में डूब जाएंगे।

811 वर्ग किलोमीटर है इसका क्षेत्रफल

नए साल 2025 का जश्न सबसे पहले किरिबाती द्वीप पर मनाया गया। नए साल का जश्न भारतीय समयानुसार दोपहर 3:31 बजे शुरू हुआ। यह द्वीप प्रशांत महासागर में है, जो भूमध्य रेखा पर स्थित है। यहां के 33 द्वीपों में से करीब 20 द्वीपों पर ही लोग रहते हैं। यह द्वीप तीन हिस्सों में बंटा हुआ है, जिसमें गिल्बर्ट द्वीप सबसे ज्यादा आबादी वाला है, इसके बाद लाइन द्वीप है जिसमें कुछ लोग रहते हैं और तीसरा हिस्सा फीनिक्स है जहां कोई स्थायी आबादी नहीं है। इसका कुल क्षेत्रफल 811 वर्ग किलोमीटर है। यहां रहने वाले लोग माइक्रोनेशियन बोलते हैं, यहां की स्थानीय भाषा गिल्बर्टिस है, हालांकि यहां की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है।

नारियल के बागान इस जगह की पहचान

किरिबाती द्वीप समूह का इस्तेमाल 1960 में अमेरिकी और ब्रिटिश परमाणु हथियारों के परीक्षण के लिए किया गया था। नारियल के बागान और मछली पालन इस जगह की पहचान हैं। इस द्वीप का सबसे ऊंचा बिंदु बनवा है जो समुद्र तल से 285 फीट यानी 87 मीटर ऊपर है। यहां कभी फॉस्फेट बहुत हुआ करता था, लेकिन 1979 तक खनन के कारण यह खत्म हो गया। बाकी द्वीप समुद्र तल से सिर्फ 26 फीट की ऊंचाई पर हैं, जो समुद्र की सतह पर हो रहे बदलावों के प्रति बेहद संवेदनशील हैं।

समुद्र में समा चुके हैं दो द्वीप

ब्रिटानिका की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1999 तक इस समूह के दो द्वीप समुद्र में समा चुके हैं, बाकी पर खतरा बरकरार है। यहां गिल्बर्ट समूह में औसतन साल में 3000 मिमी तक बारिश होती है, लेकिन इसके दूसरे हिस्से में यह घटकर सिर्फ़ 1 हज़ार मिमी रह जाती है. इस वजह से द्वीप के कई हिस्से सूखे का भी सामना करते हैं. यहां का औसत तापमान 27 से 32 डिग्री सेल्सियस तक रहता है.

अर्थव्यवस्था 

किरिबाती की अर्थव्यवस्था पूरी तरह नारियल के पेड़ों पर निर्भर है. मछली के अलावा यहां नारियल का इस्तेमाल खाने के तौर पर किया जाता है. ताड़ी के अलावा इससे दूसरे मीठे पेय पदार्थ बनाए जाते हैं. इसके अलावा यहां ब्रेडफ्रूट और पंडानल भी उगाए जाते हैं. यहां केले और शकरकंद जैसे पौधे उगाना बहुत मुश्किल है. यहां रहने वाले लोग मुख्य रूप से सूअर और मुर्गियां पालते हैं.

ग्लोबल वार्मिंग

किरिबाती दुनिया के उन द्वीप समूहों में से एक है, जिन्हें ग्लोबल वार्मिंग का सबसे बड़ा खतरा है. वैज्ञानिक पहले ही अनुमान लगा चुके हैं कि 2100 तक किरिबाती द्वीप पूरी तरह डूब सकते हैं. इसके अलावा द्वीपों में खारा पानी बढ़ रहा है, जिसकी वजह से यहां की खेती प्रभावित हो रही है. नारियल तारो और अन्य स्थानीय फसलों को उगाने में कठिनाई के कारण खाद्य संकट बढ़ रहा है। बार-बार तूफान आ रहे हैं, जो विनाशकारी साबित हो रहे हैं। मछली पकड़ना, नारियल की खेती और अन्य चीजें यहां के लोगों की अर्थव्यवस्था और आजीविका का आधार हैं, लेकिन बढ़ते समुद्री स्तर और बदलते समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र से यह प्रभावित हो रहा है।

किरिबाती द्वीप पर मंडरा रहे खतरे को देखते हुए यहां की सरकार ने फिजी में जमीन खरीदी है ताकि यहां रहने वाले लोगों को वहां बसाया जा सके। यहां की सरकार लगातार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कार्बन उत्सर्जन को कम करने की अपील कर रही है। किरिबाती ने सबसे बड़ा संरक्षित समुद्री क्षेत्र भी स्थापित किया है ताकि किसी तरह से इस द्वीप को बचाया जा सके।

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