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जल्द ही डिफॉल्टर बनने के करीब है ये मुस्लिम देश, बेलगाम महंगाई और भारी कर्ज की वजह से बने दिवालिया

PUBLISHED BY: Ankita Pandey • LAST UPDATED : October 1, 2024, 11:19 am IST
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जल्द ही डिफॉल्टर बनने के करीब है ये मुस्लिम देश, बेलगाम महंगाई और भारी कर्ज की वजह से बने दिवालिया

Default country list: दिवालिया होने के कगार पर ये देश

India News (इंडिया न्यूज), Default Country List: दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं में चल रही उथल-पुथल जल्द ही खतरनाक मोड़ ले सकती है। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के एक शीर्ष अधिकारी के अनुसार, दुनिया के 50 गरीब देशों पर दिवालिया होने का खतरा मंडरा रहा है।अधिकारी ने कहा कि इन देशों की बर्बादी के मुख्य कारणों में बेलगाम महंगाई, बिजली संकट और भारी कर्ज का बोझ शामिल है। यूएनडीपी प्रमुख अचिम स्टेनर का 2022 में दिया गया यह बयान आज भी उतना ही सच है, क्योंकि इनमें से अधिकतर देश अभी भी दिवालिया होने की कगार पर हैं।

पाकिस्तान

2023-24 में पाकिस्तान की जीडीपी 374.904 बिलियन डॉलर थी, जो 2021-22 के 375.44 बिलियन डॉलर के आंकड़े से भी कम है। इससे पता चलता है कि 2021 की तुलना में पाकिस्तानियों के जीवन स्तर में सुधार होने के बजाय गिरावट आई है। अगस्त में 9.6% रही मुद्रास्फीति पिछले साल से नीचे की ओर बढ़ रही है।

कर्ज-से-जीडीपी अनुपात 80% होने के कारण देश की लगभग 60% कमाई आर्थिक स्थिति को सुधारने के बजाय कर्ज चुकाने में खर्च हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि आईएमएफ बेल-आउट की वजह से पाकिस्तान फिलहाल दिवालिया होने से अस्थायी रूप से बचा हुआ है। इसके बावजूद लंबी अवधि में इसकी आर्थिक स्थिति आईएमएफ की मदद से किए जा रहे सुधारों की सफलता पर निर्भर करती है।

श्रीलंका

अप्रैल 2022 में श्रीलंका ने अपने 83 बिलियन डॉलर के कर्ज पर डिफॉल्ट किया था। इसकी वजह उसका विदेशी मुद्रा भंडार घटकर सिर्फ 50 मिलियन डॉलर रह जाना था। देश में अब हालात सामान्य हो रहे हैं। विदेशी मुद्रा भंडार अब घटकर 5.95 अरब डॉलर रह गया है, जो तीन साल का उच्चतम स्तर है। सितंबर 2022 में 67% की तुलना में श्रीलंका में मुद्रास्फीति दर में जबरदस्त सुधार हुआ है। पिछले महीने यानी अगस्त 2024 में मुद्रास्फीति दर घटकर महज 1.1% रह गई है। हालांकि, जीडीपी 2017 में करीब 94 अरब डॉलर से घटकर 2023 में 84.4 अरब डॉलर रह गई। राहत की बात यह है कि जनवरी से जून 2024 के बीच श्रीलंका की जीडीपी में बढ़ोतरी हुई है। 2022 और 2023 में 9.5% संकुचन के बाद अब अर्थव्यवस्था स्थिर हो रही है। इसके बावजूद देश में चिंताजनक रूप से बढ़ती गरीबी और कर्ज का बोझ आर्थिक सुधार की राह में बाधा बन सकता है।

बांग्लादेश

बांग्लादेश पर इस समय कुल 156 अरब डॉलर का कर्ज है। 2008 की तुलना में इसमें 5 गुना वृद्धि हुई है। इसके कारण देश का विदेशी मुद्रा भंडार जनवरी 2023 में 32 अरब डॉलर से घटकर सितंबर 2024 में 20 अरब डॉलर रह गया है। बांग्लादेश के केंद्रीय बैंक ने पिछले कुछ वर्षों में देश की मुद्रा टका का अवमूल्यन भी किया है, इसके बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है।

एशियाई विकास बैंक (ADB) का अनुमान है कि वित्त वर्ष 25 में मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 10.1% हो जाएगी। इसका मुख्य कारण देश में खाद्य पदार्थों की कीमतों में तेज़ी से हो रही वृद्धि है। विश्व बैंक का कहना है कि बांग्लादेश ऋण संकट का सामना नहीं कर रहा है। ऐसे में मौद्रिक सुधार और एकल विनिमय दर प्रणाली बांग्लादेश को अपने विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति सुधारने में मदद कर सकती है।

वेनेजुएला

वेनेजुएला का ऋण वर्तमान में 154 बिलियन डॉलर है, जिसे देश ने 2017 में चुकाना शुरू किया था। चिंताजनक बात यह है कि इसकी जीडीपी 2012 में 372.59 बिलियन डॉलर से घटकर लगभग एक तिहाई रह गई है। 2024 में जीडीपी घटकर 102.33 बिलियन डॉलर रह गई है। हालांकि, वेनेजुएला का प्रदर्शन बेहतर रहा है। पिछले साल अर्थव्यवस्था में 5% की वृद्धि हुई और इस साल जीडीपी वृद्धि दर 4% रहने की उम्मीद है।

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वेनेजुएला के आर्थिक प्रदर्शन में सुधार काफी हद तक वैश्विक प्रतिबंधों में ढील के कारण है। तेल से समृद्ध यह देश अब अपने कर्ज के पुनर्गठन के लिए भी बातचीत कर रहा है। इसके बावजूद देश में चल रही राजनीतिक उथल-पुथल और प्रतिबंधों की वापसी की संभावना के कारण वेनेजुएला का कर्ज का बोझ कम होने की संभावना नहीं है। अर्जेंटीना अर्जेंटीना 21वीं सदी में तीन बार अपने कर्ज की अदायगी में चूक कर चुका है। इस पर 400 अरब डॉलर से अधिक का कर्ज है। इसने पहले भी कई बार अपने कर्ज का पुनर्गठन किया है। आखिरी पुनर्गठन 2023 में हुआ था। राष्ट्रपति जेवियर माइली के आर्थिक सुधारों ने आठ महीनों में देश की वार्षिक मुद्रास्फीति दर को 300% से घटाकर 236% कर दिया है। लेकिन यह अभी भी सामान्य से काफी ऊंचे स्तर पर है। अच्छी बात यह है कि अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे बढ़ने लगी है। हालांकि देश में गरीबी का आंकड़ा 50% को पार कर गया है। अनिश्चित आर्थिक माहौल के कारण ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स को 2025 से 2027 के बीच अर्जेंटीना के डिफॉल्ट होने की 75% संभावना दिखती है।

जाम्बिया

दक्षिण अफ्रीकी देश जाम्बिया ने 2020 में अपने यूरो बॉन्ड ऋण पर डिफॉल्ट किया था। इसके बाद इस साल इसने 6.3 बिलियन डॉलर के अपने विदेशी ऋण का पुनर्गठन किया है। इन सबके बावजूद देश को आर्थिक मोर्चे पर कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। 2023 तक इसका ऋण जीडीपी के 26% तक पहुंच गया था, जिसे आईएमएफ अस्थिर मानता है। इसके अलावा देश को अभी भी कम से कम 3.3 बिलियन डॉलर के वाणिज्यिक ऋणों का पुनर्गठन करना है। आईएमएफ का मानना ​​है कि वाणिज्यिक ऋणों के पुनर्गठन में विफलता और 2024 के ऋण पुनर्गठन सौदे की विफलता एक बार फिर जाम्बिया को डिफ़ॉल्ट के कगार पर ला सकती है।

घाना

घाना पर कुल 44 बिलियन डॉलर का ऋण है। यह उसके जीडीपी का 70.6% है। दिसंबर 2022 में उसने अपने अधिकांश विदेशी कर्ज पर डिफॉल्ट कर दिया है। इसके कारण देश की अर्थव्यवस्था गहरे संकट में है। कर्ज की लागत और महंगाई बढ़ने से देश की वित्तीय स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। घाना का विदेशी मुद्रा भंडार 2021 में 9.7 अरब डॉलर से गिरकर 2023 तक 5.9 अरब डॉलर रह गया है। हालांकि, अब अर्थव्यवस्था संभल रही है। जनवरी से जून 2024 के दौरान औसत जीडीपी वृद्धि दर 5.8% रही है। महंगाई भी 2022 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर आ गई है। आईएमएफ का कहना है कि उसके 3 अरब डॉलर के पैकेज से घाना की अर्थव्यवस्था को सुधारने में मदद मिली है। हाल ही में हुए 13 अरब डॉलर के कर्ज पुनर्गठन सौदे के बाद देश की स्थिति में सुधार के आसार बढ़ते दिख रहे हैं।

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