इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : इन दिनों पाकिस्तान में नए सेना प्रमुख असीम मुनीर का राज है। उन्होंने आर्मी चीफ के तौर पर राजनीति से दूर रहने की बात को दोहराया है। मुनीर ने घोषणा की है कि वह संविधान और सेना के सम्मान के साथ समझौता नहीं करेंगे। पाकिस्तान में सेना प्रमुख का राजनीति और सरकार गठन में सीधा दखल रहता है और कई बार इसे लेकर सेना को आरोपों का भी सामना करना पड़ता है। हाल ही पाकिस्तानी सेना ने बार-बार यह दोहराया है कि वह राजनीति से दूरी बनाकर रहेगी। मुनीर की घोषणा को पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए एक चेतावनी के रूप में भी देखा जा रहा है जो पिछले कई महीनों से सेना पर हमलावर हैं।
आपको बता दें, सेना प्रमुख के सेवा विस्तार पर कानून को लेकर मुनीर ने कहा कि संसद कानून बनाने पर फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है। यह मामला सेना के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। उन्होंने कहा कि सेना का काम इनपुट को सरकार के साथ साझा करना है और ऑर्डर देने के बजाय उनके आदेशों का पालन करना है। असीम मुनीर ने ये बातें रावलपिंडी के जनरल हेडक्वार्टर्स में नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी की नेशनल सिक्योरिटी वर्कशॉप में कहीं।
यह वर्कशॉप खासतौर पर बलूचिस्तान से संबंधित मुद्दों पर आधारित थी इसलिए इसमें हिस्सा लेने वाले ज्यादातर लोग उसी प्रांत से थे। इस दौरान राजनीतिक मामलों और सेना की भूमिका पर भी चर्चा हुई। बलूचिस्तान के बारे में उन्होंने कहा कि वह वहां सेना की भूमिका को कम करने की कोशिश करेंगे। मुनीर का यह कहना कि ‘सेना की प्रतिष्ठा के साथ समझौता नहीं किया जाएगा’, इमरान खान के लिए एक चेतावनी है।
जानकारी दें, पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने भी इमरान को चेतावनी दी है कि वह जनरल असीम मुनीर के खिलाफ कोई भी नकारात्मक टिप्पणी नहीं करें। सत्ता से बाहर जाने के बाद से इमरान खान पाकिस्तान सेना पर निशाना साध रहे हैं। अपने ऊपर हुए जानलेवा हमले का आरोप उन्होंने जिन तीन लोगों पर लगाया था, उनमें भी एक सेना का वरिष्ठ अफसर था। उन्होंने कहा था कि पूर्व में सेना ने शरीफ परिवार जैसे लोगों के साथ मिलकर स्वतंत्र संस्थाओं को कमजोर किया। उन्होंने इस तरह से व्यवहार किया, जैसे वे ‘कानून से ऊपर हों।’
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