India News(इंडिया न्यूज),Pakistan- Iran: ईरान और इजरायल के बीच चल रहे युद्ध के बीच इस मामले में नया मोड़ आता हुआ दिख रहा है जहां अब पाकिस्तान भी इस विवाद में एंट्री लेने वाला है। क्योंकि अमेरिका द्वारा ईरान के साथ व्यापारिक सौदे करने पर प्रतिबंधों के जोखिम के बारे में पाकिस्तान को आगाह करने के बाद इस्लामाबाद और तेहरान बुधवार को एक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को “शीघ्र अंतिम रूप देने” और व्यापार और व्यापार निकायों के अगले सत्र आयोजित करने पर सहमत हुए। इसी बीच ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी की तीन दिवसीय पाकिस्तान यात्रा के बाद, दोनों देशों ने एक संयुक्त बयान जारी किया जिसमें कहा गया कि उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों के पूरे स्पेक्ट्रम की समीक्षा भी की।

  • पाकिस्तान ने ईरानी समझौते पर जताई सहमती
  • अमेरिका को दिखाया आंख

बढ़ते तनाव के बीच रायसी का पाकिस्तान दौरा

रायसी की यात्रा तब हुई जब दोनों पक्ष इस साल की शुरुआत में बढ़े तनाव के बाद अपने खराब संबंधों को सुधारने की कोशिश कर रहे थे जब ईरान ने सशस्त्र समूह जैश अल-अदल के कथित ठिकानों के खिलाफ अशांत दक्षिण-पश्चिमी बलूचिस्तान में पाकिस्तानी क्षेत्र पर हमले किए। 48 घंटों से भी कम समय में, पाकिस्तानी सेना ने ईरान में जवाबी हमले किए थे, जिसके बारे में उसने कहा था कि ये “आतंकवादी संगठनों द्वारा इस्तेमाल किए गए ठिकाने” थे।

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पाकिस्तान ने जारी किया बयान

वहीं इस मामले में आठ वर्षों में पाकिस्तान का दौरा करने वाले पहले ईरानी राष्ट्रपति रायसी ने अपनी यात्रा के दौरान प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ, राष्ट्रपति आसिफ जरदारी और सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर सहित देश के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात की। उन्होंने राष्ट्रपति जरदारी और प्रधानमंत्री शरीफ को ईरान की आधिकारिक यात्रा करने का निमंत्रण भी दिया।

एक संयुक्त ईरानी-पाकिस्तानी बयान में कहा गया, “उन्होंने (पाकिस्तान और ईरान) बिजली, बिजली पारेषण लाइनों और ईरान-पाकिस्तान गैस पाइपलाइन परियोजना में व्यापार सहित ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग के महत्व को दोहराया।” अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार मौजूदा 2 अरब डॉलर से बढ़कर 10 अरब डॉलर हो जाएगा। इसके साथ ही हैंडआउट में लिखा है, “आर्थिक और वाणिज्यिक गतिविधि को सुविधाजनक बनाने के लिए दोनों पक्षों के बीच वस्तु विनिमय व्यापार तंत्र को पूरी तरह से चालू करने पर सहमति थी।

अमेरिका की चेतावनी

राजनीतिक उथल-पुथल और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण गैस पाइपलाइन परियोजना एक दशक से अधिक समय से लटकी हुई है। राष्ट्रपति रायसी की यात्रा के दौरान ईरान के साथ अधिक सुरक्षा और आर्थिक सहयोग का वादा करने के बाद मंगलवार को अमेरिकी विदेश विभाग ने इस्लामाबाद को प्रतिबंधों के जोखिम की चेतावनी दी थी। जिसके बाद पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा था कि, “हम ईरान के साथ व्यापारिक सौदों पर विचार करने वाले किसी भी व्यक्ति को प्रतिबंधों के संभावित जोखिम के बारे में जागरूक रहने की सलाह देते हैं। लेकिन अंततः, पाकिस्तान सरकार अपनी विदेश नीति के लिए बात कर सकती है।

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इसके साथ ही इस मामले में पर्यवेक्षकों ने कहा कि, प्रतिबंधों का निहित खतरा पाकिस्तान के लिए एक कठिन समय में आया है, जो आर्थिक रूप से संघर्ष कर रहा है और वित्तीय सहायता के लिए अपने सहयोगियों, विशेष रूप से अमेरिका, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे तीन देशों की ओर देख रहा है। ईरान के शत्रु के रूप में देखा जाता है।

अमेरिका की चेतावनी को किया नजरंदाज

ईरानी राष्ट्रपति के पाकिस्तान के दौरे पर जाते ही अमेरिका ने पाकिस्तान को खुली चेतावनी दी कि, अगर ईरान के साथ इस समझौते पर पाकिस्तान सहमत होता है तो अच्छा नहीं होगा। लेकिन इसके बावजूद पाकिस्तान ने ईरान से समझौते पर सहमती जताई। जिसके बाद देखने वाली बात ये है कि, पाकिस्तान के इस बर्ताव के बाद अमेरिका कौन सा कदम उठाता है। वहीं इस मामले में अब पाकिस्तान को दो दुश्मनी झेलनी पड़ सकती है एक ईजरायल और दूसरा अमेरिका।