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India News (इंडिया न्यूज),Pakistan: पाकिस्तान इस समय आर्थिक मुश्किलों से जुझ रहा है। पूरे देश में मंहगाई अपने चरम पर है। वहीं पाकिस्तान सेना की मुश्किलों दोगुनी होने वाली हैं। इसकी वजह भारत नहीं बल्कि पाकिस्तान की जनता हैं। जी हां पाकिस्तान की जनता की एक फैसले की वजह से पाकिस्तान की सेना सदमे में है। पाकिस्तान के नागरिकों ने देश के इतिहास में पहली बार पाकिस्तानी सेना से जुड़े व्यवसायों का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। जिसके बाद से देश भर में सरकार और सेना दोनों की चिंताएं बढ़ गई हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की रिहाई की मांग को लेकर इस्लामाबाद के डी-चौक पर हुई गोलीबारी की घटना के बाद इस तरह के कई अभियान तेज हो गए हैं। इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर नागरिकों ने पाकिस्तानी सेना पर गंभीर सवाल उठाए और गोलीबारी के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया। इतना ही नहीं, सोशल मीडिया पर “गोलियां क्यों चलाई गईं?” जैसे हैशटैग सबसे ज्यादा ट्रेंड कर रहे हैं, यही वजह है कि इस तरह के मुद्दे राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का केंद्र बन गए हैं।
गोलीबारी की घटना के बाद पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नेता और अमेरिका में इमरान खान के करीबी शाहबाज गिल ने एक बयान जारी किया। गिल ने पाकिस्तानियों से सेना द्वारा प्रबंधित व्यवसायों से जुड़े उत्पादों का बहिष्कार करने का आह्वान किया। उनके बयान से जनता का समर्थन बढ़ा और बहिष्कार अभियान ने गति पकड़ी।
साथ ही सोशल मीडिया पर लोगों की व्यापक भागीदारी ने भी इस आंदोलन को मजबूती दी। सेना के खिलाफ बढ़ रहा जनाक्रोश सेना से जुड़े व्यवसायों का बहिष्कार सिर्फ आर्थिक विरोध नहीं है, बल्कि यह जनता के भीतर सेना के खिलाफ गहरे आक्रोश को भी दर्शाता है। डी-चौक की घटना ने जनभावनाओं को भड़का दिया और इससे सेना की साख को बहुत नुकसान पहुंचा। लोगों का मानना है कि सेना के व्यापारिक नेटवर्क का इस्तेमाल जनता की जरूरतों को पूरा करने के लिए नहीं बल्कि अपनी ताकत बढ़ाने के लिए किया जा रहा है।
बढ़ते बहिष्कार अभियान ने पाकिस्तान के सूचना मंत्री को जवाब देने पर मजबूर कर दिया। मंत्री ने पीटीआई समर्थकों पर “राज्य विरोधी व्यवहार” का आरोप लगाया और कहा कि वे इजरायली उत्पादों का बहिष्कार करने के बजाय स्थानीय व्यवसायों को निशाना बना रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि यह कदम पाकिस्तान की कमजोर अर्थव्यवस्था को और नुकसान पहुंचा सकता है। मंत्री ने आंदोलनकारियों की आलोचना की और इसे गैरजिम्मेदाराना बताया।
पाकिस्तान में सेना से जुड़े व्यवसायों के बहिष्कार का यह अभियान न केवल सेना की छवि को प्रभावित कर रहा है, बल्कि देश की राजनीति और समाज पर भी इसका गहरा असर पड़ सकता है। इमरान खान की रिहाई की मांग और सेना के खिलाफ बढ़ते असंतोष के बीच यह आंदोलन आने वाले समय में पाकिस्तान की राजनीति और सैन्य-सामाजिक समीकरणों को नई दिशा दे सकता है। वहीं, अगर आंदोलन इसी तरह तेज होता रहा तो पाकिस्तानी सेना को बड़ा नुकसान हो सकता है।
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