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India News (इंडिया न्यूज), PM Modi In US: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार (21 सितंबर) से सोमवार (23 सितंबर) तक तीन दिवसीय अमेरिकी दौरे पर हैं। इस दौरे पर पीएम मोदी क्वाड समिट में हिस्सा लिया। साथ ही कई द्विपक्षीय बैठकें भी होंगी। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का बयान सामने आया है। इससे पहले बाइडेन सरकार ने व्हाइट हाउस में खालिस्तानी समर्थकों से मुलाकात की थी। दरअसल, यह पहली बार है जब अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने सिख अलगाववादियों के साथ बैठक की है। वहीं इस बैठक में अमेरिका ने खालिस्तानी समर्थकों को भरोसा दिलाया है कि वे अमेरिकी धरती पर पूरी तरह सुरक्षित हैं और उन्हें किसी भी तरह के अंतरराष्ट्रीय हमले से बचाया जाएगा। यह बैठक आधिकारिक व्हाइट हाउस में हुई। दरअसल, इस बैठक में अमेरिकी सिख कॉकस कमेटी के प्रीतपाल सिंह और सिख गठबंधन और सिख अमेरिकी कानूनी रक्षा और शिक्षा कोष के प्रतिनिधि शामिल हुए।
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, जब अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन से पूछा गया कि अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन की पीएम मोदी से मुलाकात और चीन तथा रूस-यूक्रेन में चल रहे युद्ध को लेकर भारत से क्या उम्मीदें हैं? इस पर अमेरिकी एनएसए जेक सुलिवन ने कहा कि मैं उन मुद्दों पर ज्यादा गहराई से नहीं जाऊंगा जो स्पष्ट रूप से संवेदनशील हैं। वहीं अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा कि मैं सिर्फ इतना कहूंगा कि हमारा दृष्टिकोण स्पष्ट रहा है कि यूक्रेन के खिलाफ रूस के क्रूर युद्ध ने अंतरराष्ट्रीय कानून के हर मानदंड और सिद्धांत का उल्लंघन किया है। ऐसे में भारत जैसे देशों को संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांतों का समर्थन करना चाहिए।
अमेरिकी एनएसए जेक सुलिवन ने कहा कि हर देश को रूस की युद्ध मशीन को इनपुट देने से बचना चाहिए, ताकि वह इस क्रूर युद्ध को जारी रख सके, इसलिए वे इस बारे में बात करेंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडेन अपने सहयोगी प्रधानमंत्री मोदी से यूक्रेन की उनकी यात्रा के बारे में भी सुनेंगे। जो एक महत्वपूर्ण और वास्तव में ऐतिहासिक यात्रा थी। यह उन दोनों के लिए आगे के रास्ते पर अपने-अपने विचारों के बारे में बात करने का अवसर होगा। उन्होंने आगे कहा कि चीन के संदर्भ में, आप जानते हैं, वे इस बारे में बात करेंगे कि वे उस क्षेत्र में चीन की कार्रवाइयों को कैसे देखते हैं, जहां चीन जा रहा है। यह केवल सुरक्षा क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि आर्थिक और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भी है। ऐसे में दोनों देशों के लिए समझने योग्य सीमा तक परिप्रेक्ष्य को समझने का प्रयास करें।
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