India News(इंडिया न्यूज),Poverty In India: भारत में गरीबी स्तर को लेकर कई सारी बातें सामने आती रहती है। जिसके बारे में जानकारी देते हुए अमेरिका स्थित थिंक-टैंक द ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन के अनुसार, जैसा कि आमतौर पर अंतरराष्ट्रीय तुलनाओं में बताया जाता है, भारत ने अत्यधिक गरीबी को समाप्त कर दिया है, जिसने अपनी रिपोर्ट में भारत के हाल ही में जारी उपभोग व्यय डेटा (2022-23 के लिए) का हवाला दिया है। इसके साथ ही यह अध्ययन अर्थशास्त्री सुरजीत एस भल्ला और करण भसीन द्वारा लिखा गया है।
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जानें क्या कहते है आकड़े
वहीं इस मामले में आंकड़ों की बात करें तो, 2011-12 के बाद से, देश की वास्तविक प्रति व्यक्ति खपत वृद्धि 2.9% रही है, जबकि 3.1% प्रति वर्ष की दर से, ग्रामीण विकास शहरी विकास (2.6%) से काफी अधिक था। इसके अतिरिक्त, शहरी और ग्रामीण दोनों असमानताओं में ‘अभूतपूर्व’ गिरावट देखी गई: क्रमशः 36.7 से 31.9 और 28.7 से 27 (गिनी गुणांक के संदर्भ में, 100 से गुणा)। इस बीच, ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी 2.5% और शहरी क्षेत्रों में 1% दर्ज की गई।
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ये परिणाम क्यों?
रिपोर्ट की बात करें तो, ग्रामीण क्षेत्रों में तुलनात्मक रूप से उच्च खपत वृद्धि ‘आश्चर्य की बात नहीं होनी चाहिए। इसके साथ ही अधिकारी कहते है कि, यह सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित योजनाओं की एक विस्तृत विविधता के माध्यम से पुनर्वितरण पर सरकार की ‘मजबूत नीतिगत जोर’ के कारण है। इसमें शौचालयों के निर्माण के लिए एक राष्ट्रीय मिशन और इनमें से प्रत्येक तक सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करने का प्रयास शामिल है: बिजली, आधुनिक खाना पकाने का ईंधन और पाइप से पानी।
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