विदेश

अमेरिका पर रूस ने लगाए गंभीर आरोप, कहा- जासूसी के लिए हजारों आईफोन कराए हैक

India News (इंडिया न्यूज़), Spying Campaign Of USA, मास्को: रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्द को 15 से भी ज्याद हो गया है। मगर अभी भी इस जंग के खत्म होने के कोई आसार नहीं हैं। वहीं रूस और अमेरिका के रिश्ते भी लगातार खराब होते जा रहे हैं। इसी बीच रूस की संघीय सुरक्षा सेवा यानी कि FSB ने इस बात का दावा किया है कि एक अमेरिकी जासूसी ऑपरेशन का उसने पर्दाफाश किया है। जिसके माध्यम से सर्विलांस सॉफ्टवेयर का उपयोग करके हजारों आईफोन को हैक किया गया है।

FSB ने जारी किया बयान

मॉस्को स्थित कास्परस्की लैब कंपनी ने बताया कि उसके दर्जनों कर्मचारियों के डिवाइस के साथ अमेरिकी ऑपरेशन के जरिए छेड़छाड़ हुई। सोवियत युग के कुख्यात रहे KGB के मुख्य उत्तराधिकारी कहे जाने वाले FSB ने कहा कि एप्पल के कई हजार मोबाइल फोन को हैक किया गया था। जिसमें कई स्थानीय रूसी लोगों के अलावा रूस तथा पूर्व सोवियत संघ में स्थित विदेशी राजनयिक के भी मोबाइल फोन शामिल थे।

एफएसबी ने नहीं पेश किए कोई सबूत

FSB ने अपने बयान में कहा, “एफएसबी ने एप्पल मोबाइल उपकरणों का इस्तेमाल कर अमेरिकन स्पेशल सर्विस की खुफिया कार्रवाई का पर्दाफाश किया है।” एफएसबी ने खुलासा करे हुए यह भी कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (NSA) और एप्पल के बीच बेहद ही निकट सहयोग है। जो कि क्रिप्टोग्राफिक के अलावा संचार खुफिया व सुरक्षा के लिए एक जिम्मेदार अमेरिकी एजेंसी है। हालांकि इसे लेकर FSB ने कोई भी सबूत नहीं पेश किया है।

एप्पल ने इन आरोपों से किया इंकार

वहीं एप्पल कंपनी ने अपने एक बयान में खुद पर लगे आरोपों से इंकार कर दिया है। कंपनी ने कहा, “हमने ऐप्पल से जुड़े किसी भी प्रोडक्ट में बैकडोर के जरिए कभी भी किसी सरकार के साथ कोई काम नहीं किया है और न ही ऐसा कभी करेंगे” जबकि इस मामले में एनएसए ने कुछ भी कहने से मना कर दिया है। Kaspersky के CEO Eugene Kaspersky ने ट्वीट कर कहा कि उनके दर्जनों कर्मचारियों के फोन के साथ इस ऑपरेशन के दौरान छेड़छाड़ हुई। कंपनी ने जिसे साइबर हमला करार दिया है।

साइबर पावर में सबसे ताकतवर है अमेरिका

एफएसबी का इसे लेकर ये कहना है कि अपने जासूसी अभियान में अमेरिकी हैकर्स ने चीन, इजरायल, सीरिया, और नाटो के सदस्य देशों के राजनयिकों के बारे में जानने का प्रयास किया। इस मामले पर इजराइली अधिकारियों ने कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। वहीं चीनी, NATO और सीरियाई प्रतिनिधि इस मामले में कमेंट करने को सक्षम नहीं थे।

बता दें कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बेलफर सेंटर साइबर 2022 पावर इंडेक्स के मुताबिक, संयुक्त राज्य अमेरिका क्षमता तथा इरादों के मामले में दुनिया की सबसे ज्यादा ताकतवर साइबर पावर है। इसके बाद रूस, चीन, ब्रिटेन तथा ऑस्ट्रेलिया का नंबर आता है।

Akanksha Gupta

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