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भाड़े पर रूस की प्राइवेट आर्मी मचाती है कोहराम, जानें एक दिन का कितना पैसा लेते हैं ये सैनिक

PUBLISHED BY: Akanksha Gupta • LAST UPDATED : June 24, 2023, 12:03 pm IST
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भाड़े पर रूस की प्राइवेट आर्मी मचाती है कोहराम, जानें एक दिन का कितना पैसा लेते हैं ये सैनिक

Military Coup in Russia

India News (इंडिया न्यूज़), Military Coup in Russia, मॉस्को: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सबसे करीबी माने जाने वाले येवगेनी प्रिगोझिन द्वारा निजी सैन्य कंपनी की स्थापना किये जाने की बात से हर कोई चौंक गया है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, येवगेनी ने कहा कि 2014 में वैगनर समूह की की स्थापना की गई थी। जिसके भाड़े के सैनिकों ने कई युद्ध में पैसे लेकर हिस्सा लिया है। रिपोर्टस के अनुसार, वैगनर ग्रुप के लड़ाके देश के अतिरिक्त सीरिया, लीबिया, माली और मध्य अफ्रीकी गणराज्य समेत अन्य देशों में लड़ चुके हैं।

इस बात का खुलासा येवगेनी प्रिगोझिन की कॉनकॉर्ड कैटरिंग फर्म की प्रेस सेवा मे एक रूसी न्यूज साइट के प्रश्न पर किया है। जहां पर उनसे उनके वैगनर समूह के साथ सोशल नेटवर्क VKontakte पर चर्चा की जा रही थी। येवगेनी ने आगे जानकारी दी कि पुराने हथियारों को उन्होंने खुद साफ किया है। बुलेटप्रूफ जैकेट को उन्होंने खुद ठीक किया है। साथ ही ऐसे एक्सपर्ट्स से मिले जो उनकी मदद कर सकते थे। जिसके बाद 1 मई 2014 को एक अन्य समूह का जन्म हुआ। जिसे बाद में वैगनर बटालियन कहा गया। इसके साथ ही इस बयान के सही होने की पुष्टि प्रिगोझिन की कॉनकॉर्ड कैटरिंग फर्म ने की है।

पुतिन के काफी करीबी हैं प्रिगोझिन

सरकार के साथ अपनी कंपनी के खानपान के अनुबंधों की वजह से प्रिगोझिन को राष्ट्रपति पुतिन का शेफ भी कहा जाता है। पुतिन के साथ प्रिगोझिन की नजदीकी तथा वैगनर में उनकी भूमिका के लिए यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य ने उन पर कई प्रतिबंध लगाए हुए हैं। इसके साथ ही प्रिगोझिन पर अमेरिका ने आरोप लगाया कि उन्होंने एक ट्रोल आर्मी की मदद से अमेरिकी चुनावों को प्रभावित करने का प्रयास किया था। यूक्रेन के पूर्वी डोनबास क्षेत्र में वैगनर पर रूस समर्थक अलगाववादियों को मदद प्रदान करने का आरोप लगाते हुए आए हैं।

मसनरी कौन होते हैं?

जानकारी दे दें कि मसनरी उन लोगों की फौज होती है जो फौज पैसों के लिए किसी भी युद्ध में भाग लेती है। ये सैनिक किसी भी देश या किसी भी सेना लिए लड़ाई करते हैं। साथ ही मोटी रकम फीस में लेते हैं। जिनेवा कन्वेंशन के अनुसार, मसनरी को आम सैनिकों की तरह वैध लड़ाकों के रूप में मान्यता नहीं दी गई है। सशस्त्र बलों के कब्जे वाले सेवा कर्मियों के समान उन्हें कानूनी सुरक्षा प्रदान करने की आवश्यकता नहीं है। भाड़े के सैनिकों के लिए दुनिया के कई देशों ने कई कड़े कानून भी बनाए हैं। जो कि नागरिकों को मसनरी बनने से मना करते हैं।

जानें क्या है वैगनर ग्रुप

वैगनर समूह एक रूसी अर्धसैनिक संगठन है। जिसे भाड़े के सैनिकों का एक नेटवर्क या फिर पुतिन की निजी सेना के तौर पर देखा जा सकता है। अमेरिकी सैन्य अधिकारी वैगनर समूह को एक खूंखार सैन्य संगठन बताते हैं। जो कि रूसी सेनाओं का साथ दे रहे हैं। वहीं एक रिपोर्ट में ये बताया गया है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की की हत्या के लिए वैगनर ग्रुप के 400 से ज्यादा भाड़े के सैनिकों को कीव भेजा गया था। इसके साथ ही अमेरिकी अधिकारियों का भी ये कहना है कि युद्ध में उन्हें वैगनर समूह के सैनिकों के शामिल होने के भी कुछ संकेत मिले थे। हालांकि इनकी पुष्टि नहीं हुई है।

मसनरी को कितना मिलता है वेतन

जो देश मसनरी को भाड़े पर लेते हैं उन्हें उसके लिए भारी कीमत चुकानी होती है। यूक्रेन युद्ध में लड़ने के लिए 2000 अमेरिकी डॉलर प्रति दिन मसनरी के एक लड़ाके को ऑफर किया गया था। इंडियन करेंसी में बात करें तो इसके लिए लड़ाकों को एक दिन का 1 लाख 63 हजार रुपये दिया जा रहा था। वहीं एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक महीने से कम की सर्विस के लिए एक मसनरी कमांडर को 5 लाख डॉलर तक भी दिए जाते हैं। इंडियन करेंसी में जो 4 करोड़ से भी ज्यादा है।

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