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India News, (इंडिया न्यूज), Pakistan BRICS Membership: चीन की मदद से ब्रिक्स में शामिल होने की योजना बना रहे पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा है। ब्रिक्स के मौजूदा अध्यक्ष रूसी उप प्रधानमंत्री एलेक्सी ओवरचुक ने इस्लामाबाद में कहा कि पाकिस्तान के आवेदन पर ब्रिक्स के भीतर कोई आम सहमति नहीं बन पाई है। पाकिस्तान की सरकार लगातार रूस का गुणगान कर रही थी ताकि वह उसका समर्थन करे। इतना ही नहीं पाकिस्तान को उम्मीद थी कि चीन रूस पर दबाव बनाएगा ताकि भारत उसका विरोध करना बंद कर दे और उसे ब्रिक्स की सदस्यता मिल जाए। वहीं भारत ने साफ कर दिया था कि वह पाकिस्तान की सदस्यता का पुरजोर विरोध जारी रखेगा। रूसी नेता पाकिस्तान के दौरे पर पहुंचे थे।
अक्टूबर में रूस के कजान में ब्रिक्स की बैठक होने वाली है, जिसमें हिस्सा लेने के लिए पीएम मोदी भी जा सकते हैं। पाकिस्तान की अपनी यात्रा के दौरान एलेक्सी ने संकेत दिया कि इस्लामाबाद के आवेदन पर कोई आम सहमति नहीं बन पाई है। उन्होंने इस्लामाबाद में पत्रकारों से कहा, ‘हमें खुशी है कि पाकिस्तान ने आवेदन किया है। ब्रिक्स और एससीओ परस्पर मित्रवत संगठन हैं जो एक-दूसरे का समर्थन करते हैं। लेकिन साथ ही आम सहमति बनाने की भी ज़रूरत है ताकि वे फैसले लिए जा सकें। हमने अभी ब्रिक्स का बहुत बड़ा विस्तार को देखा है।’
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ET की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान को चीन से समर्थन तो मिल रहा है लेकिन वह उभरती अर्थव्यवस्थाओं की श्रेणी में नहीं आता है। किसी भी ब्रिक्स की सदस्यता या भागीदार का दर्जा पाने के लिए यह मुख्य शर्त है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था डिफॉल्ट के कगार पर है और वह शीर्ष और उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों में नहीं आता है। 22-24 अक्टूबर को होने वाले शिखर सम्मेलन में रूस ब्रिक्स के भागीदार तंत्र पर फैसला करेगा। पाकिस्तान चीन की मदद से SCO का सदस्य बना लेकिन ब्रिक्स में शामिल होने की शर्त अलग है।
एससीओ के विपरीत भारत ब्रिक्स का संस्थापक सदस्य है और इस संगठन के आगे विस्तार में नई दिल्ली का रुख काफी मायने रखता है। पिछले साल दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन हुआ था जिसमें यूएई, सऊदी अरब, मिस्र, ईरान, इथियोपिया और अर्जेंटीना को इस संगठन में शामिल किया गया था। इससे इस समूह के सदस्यों की कुल संख्या 11 हो गई है। वहीं चुनावों के बाद अर्जेंटीना ने खुद को इस समूह से अलग कर लिया, जिससे अब कुल सदस्य देशों की संख्या 10 हो गई है। दरअसल चीन एससीओ के बाद ब्रिक्स में अपना दबदबा बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। इसी वजह से वह अपने आर्थिक गुलाम पाकिस्तान को इसमें शामिल करना चाहता है। इसी वजह से भारत ने इसका कड़ा विरोध किया है।
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