इंडिया न्यूज, कीव/मास्को : रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को 6 माह से ज्यादा का समय बीत चुका है। इस दौरान दोनों देशों को व्यापक नुकसान उठाना पड़ा है। रूस ने जहां यूक्रेन के कई हिस्सों पर कब्जा किया हुआ है तो वहीं कई जगह यूक्रेनी सैनिक अपनी जमीन वापस लेने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ऐसा ही एक हिस्सा है जपोरिझिया परमाणु संयंत्र। यहां पर रूसी सैनिकों ने अपना कब्जा कर लिया था। पिछले कई दिनों से यहां पर यूक्रेनी सैनिकों ने रूसी सैनिकों को घेर लिया है और संयंत्र वापस लेने के लिए लगातार गोलीबारी कर रहे हैं।
जपोरिझिया परमाणु संयंत्र के नजदीक चल रही फायरिंग से किसी भी समय बड़ा रिसाव हो सकता है। दोनों देश फायरिंग के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। इस सबके ब्बीच अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के महानिदेशक राफेल ग्रोसी संयंत्र की स्थिति का जायजा लेंगे। इसके बाद ही यह स्थिति स्पष्ट हो पाएगी की गोलीबारी से संयंत्र को कितना नुकसान हुआ है। हालांकि इस गोलीबारी से संयंत्र के नजदीक प्रमुख पाइपलाइन क्षतिग्रस्त हो चुकी है।
यूक्रेन के साथ पिछले 6 माह से जूझ रहे रूस को अब सैनिकों की संख्या कम महसूस हो रही है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार पिछले सप्ताह पुतिन ने रूस की सैन्य क्षमता 19 लाख जवानों से बढ़ाकर 20.40 लाख करने का आदेश जारी किया है। इसके लिए भर्ती अगले साल शुरू होगी। वहीं इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिका ने कहा है कि रूस इसमें सफल नहीं हो पाएगा। दरअसल यूक्रेन के साथ युद्ध में यह बात सामने आई है कि रूस के पास अत्याधुनिक हथियार तो थे लेकिन उसके सैनिक किसी ने किसी रूप में अक्षम साबित हुए यही कारण है कि यूक्रेन पर दो सप्ताह में कब्जा करने का दावा करने वाली रूसी सेना आज भी जूझ रही है।
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