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इंडिया न्यूज, New Delhi News। Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच लगभग 218 दिन से युद्ध जारी है। जिस बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में यूक्रेन के 4 राज्यों लुहांस्क, डोनेस्क, खेरसान और जपोरीजिया को रूस में विलय कर लिया है। रूस की इस कार्रवाई के बाद से ही अंतरराष्ट्रीय पटल पर माहौल गरमा गया है। क्रेमलिन में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में पुतिन ने कहा कि हम सभी उपलब्ध साधनों और पूरी ताकत से अपने भूभाग की रक्षा करेंगे।
दूसरी ओर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने इन भूभागों को हासिल करने की प्रतिबद्धता जताई। इतना ही नहीं अमेरिका समेत दुनिया के तमाम मुल्कों ने पुतिन के एक्शन का विरोध जताया है। इससे इलाके में फिर से तनाव बढ़ने के आसार हैं।
मौजूदा वक्त में यूरोप के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र जपोरिजिया के पास के सभी चार संलग्न क्षेत्रों में भयंकर लड़ाई जारी है। रूसी सेना ने जपोरिजिया में एक नागरिक काफिले पर गोलाबारी की जिसमें 30 लोग मारे गए। रूस ने इसके लिए यूके्रन को दोषी ठहराया है। वहीं यूक्रेन ने रूस से एटमी संयंत्र को बड़ा खतरा बताया है। डोनेटस्क क्षेत्र के प्रमुख शहर लाइमन के आसपास भारी लड़ाई जारी है, जहां यूके्रनी सेना ने बड़ी संख्या में रूसी सैनिकों को घेर लिया है।
पुतिन ने साफ शब्दों में कहा कि उसके कब्जे वाले क्षेत्रों के नागरिक रूस का हिस्सा होंगे। रूस हर सूरत में इन क्षेत्रों की रक्षा करेगा। रूस की ओर से परोक्ष रूप से टैक्टिकल एटमी हथियारों के इस्तेमाल की चेतावनी भी दी गई है। पुतिन के अपने कार्यों को सही ठहराने के लिए बल प्रयोग का एक लंबा इतिहास रहा है।
एक रिपोर्ट की मानें तो रूस और उसकी राजनीति पर 24 किताबें लिखने वाले मार्क गेलोटी का मानना है कि पुतिन एक ऐसे शख्स हैं जो कुछ भी कर सकते हैं।
मौजूदा वक्त में देखें तो रूस यूक्रेन गतिरोध के चलते दुनिया दो या तीन खेमों में बंटती नजर आ रही है। अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति की जानकार प्रीशियस चटर्जी-डूडी के मुताबिक शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में चीन, रूस और ईरान ने इस धारणा को मजबूत किया है।
वहीं अमेरिका के पक्ष में भी लामबंदी मजबूत हुई है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी यह खेमेबंदी साफ नजर आई और रूसी कदम के खिलाफ अमेरिका और अल्बानिया ने निंदा प्रस्ताव पेश किया। हालांकि रूस के वीटो के चलते यह निरस्त हो गया।
जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने रूसी कदम को गैरकानूनी करार दिया है तो फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों का कहना है कि पुतिन का कदम यूके्रन की संप्रभुता का गंभीर उल्लंघन है। दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने इस कदम को संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन बताया है। यूरोपीय संघ के सभी 27 सदस्य देशों ने भी कहा है कि वे जनमत संग्रह को नहीं मानेंगे।
वहीं जानकारी मिली है कि अमेरिका का कहना है कि उसे फिलहाल ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है, जिससे लगे कि रूस परमाणु हमला करने वाला है। विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि हालांकि राष्ट्रपति पुतिन बढ़-चढ़कर दावे कर रहे हैं। लेकिन ऐसा कोई संकेत नहीं है, जिससे लगे कि रूस यह कदम उठाने जा रहा है। उन्होंने पुतिन के बयानों को लापरवाही की हद बताया।
बता दें कि यह दूसरे विश्वयुद्ध के बाद यूरोप में किसी दूसरे मुल्क के क्षेत्रों को अपना हिस्सा बनाने की यह सबसे बड़ी घटना है। रूस के कदम से पश्चिमी देश भड़के हुए हैं। अमेरिका ने पुतिन के सहयोगियों के खिलाफ नए प्रतिबंधों का एलान किया है। दूसरी ओर जेलेंस्की ने नाटो में शामिल होने के आवेदन पर दस्तखत किए हैं। नाटो महासचिव जेंस स्टाल्टनबर्ग का कहना है कि नाटो यूक्रेन की स्वतंत्रता और संप्रभुता के प्रति अपना समर्थन दोहरा रहा है।
भले ही अमेरिका यह कह रहा हो कि रूस यूके्रन युद्ध के एटमी वार में तब्दील होने की आशंका नहीं है लेकिन यूरोप में अज्ञात आशंकाओं को साफ महसूस किया जा रहा है। यूक्रेन के जपोरिजिया परमाणु संयंत्र के आसपास लड़ाई को लेकर लोगों में चिंता साफ नजर आ रही है।
पोलैंड ने रेडियोधर्मी जोखिम की स्थिति में क्षेत्रीय अग्निशमन विभागों से लोगों को आयोडीन की गोलियां वितरित करने को कहा है। रेडियोधर्मी जोखिम के मामले में आयोडीन को रक्षा का एक उत्तम तरीका माना जाता है।
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