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दो बार मौत के मुंह से बचीं Sheikh Hasina, कैसे हुई परिवार के 5 लोगों की हत्या? रूह कंपा देगी इनकी कहानी

Ankita Pandey • LAST UPDATED : August 5, 2024, 4:05 pm IST
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दो बार मौत के मुंह से बचीं Sheikh Hasina, कैसे हुई परिवार के 5 लोगों की हत्या? रूह कंपा देगी इनकी कहानी

Sheikh Hasina

India News(इंडिया न्यूज), Sheikh Hasina Biography: बांग्लादेश में इसी साल आम चुनाव हए थे जिसमे शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग (AL) ने बहुमत हासिल किया है। आम चुनाव में जीत के साथ शेख हसीना ने चौथी बार प्रधानमंत्री बनी। लेकिन पिछले महिने से बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर काफी बवाल चल रहा है। जिसमें अबतक 300 लोगों की मौत हो चुकी है। मीडिया रिपोर्ट में ऐसा कहा जा रहा है कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपना इस्तीफा दे दिया और वह देश छोड़कर भी जा चुकी है। आइए जानते हैं शेख हसीना के बारे में

शेख हसीना कौन हैं

शेख हसीना का जन्म 28 सितंबर 1947 को बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान के घर में हुआ था। हसीना अपने माता-पिता की सबसे बड़ी बेटी हैं। उन्होंने अपने शुरुआती दिन पूर्वी बंगाल के तुंगीपारा में बीताए। वह कुछ समय तक सेगुनबागीचा में भी रहीं जिसके बाद उनका परिवार ढाका शिफ्ट हो गया। शेख हसीना छात्र राजनीति से राजनीति में आईं। बाद में उन्होंने अपने पिता की पार्टी अवामी लीग की छात्र शाखा की कमान संभाली।

राजनीति में कैसे आईं?

शेख हसीना ने सबसे पहले छात्र राजनीति के जरिए राजनीति में प्रवेश किया। 1966 में जब वे ईडन वीमेंस कॉलेज में पढ़ रही थीं, तब उन्होंने छात्र संघ का चुनाव लड़ा और उपाध्यक्ष बनीं। इसके बाद वे अपने पिता की पार्टी अवामी लीग की छात्र शाखा को संभालने लगीं। वे ढाका विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति में भी सक्रिय रहीं।

माँ, पिता और 3 भाइयों की हत्या

शेख हसीना की जिदगी में सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन साल 1975 एक बुरे सपने की तरह आया। बांग्लादेश की सेना ने विद्रोह कर दिया। हसीना के परिवार के खिलाफ विद्रोह शुरू कर दिया गया। हथियारबंद लड़ाकों ने शेख हसीना की माँ, उनके तीन भाइयों और पिता शेख मुजीबुर रहमान की हत्या कर दी। उस समय हसीना अपने पति वाजिद मियाँ और छोटी बहन के साथ यूरोप में थीं। जिससे उनकी जान बच गई।

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भारत ने दी शरण

अपनी मां, पिता और 3 भाइयों की हत्या के बाद शेख हसीना कुछ समय जर्मनी में रहीं। उस समय भारत में इंदिरा गांधी सत्ता में थीं। इंदिरा सरकार ने तुरंत शेख हसीना को राजनीतिक शरण देने की पेशकश की। हसीना अपनी बहन के साथ दिल्ली आईं और करीब 6 साल तक यहां रहीं।

शेख हसीना 1981 में बांग्लादेश लौटीं

शेख हसीना लंबे समय तक निर्वासन में रहने के बाद 1981 में बांग्लादेश लौटीं। जब हसीना बांग्लादेश लौटीं तो तो उनके स्वागत के लिए लाखों लोग हजारों लोग एयरपोर्ट पर जमा हुए थे। बांग्लादेश लौटने के बाद हसीना ने अपने पिता की पार्टी अवामी लीग को आगे बढ़ाया। हसीना ने 1986 में पहली बार चुनाव लड़ा। उस समय देश में मार्शल लॉ लागू था। इस चुनाव में हसीना विपक्ष की नेता चुनी गईं। 1996 के चुनाव में शेख हसीना की पार्टी भारी बहुमत के साथ सत्ता में आई। हसीना पहली बार प्रधानमंत्री बनीं। 2001 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

2009 में दोबारा सत्ता में आने के बाद से ही हसीना पीएम की कुर्सी पर हैं। इस बार भी शेख हसीना ने अपनी पारंपरिक गोपालगंज-3 संसदीय सीट से चुनाव लड़ा और भारी अंतर से जीत हासिल की। ​​1986 से हसीना इस सीट से आठ चुनाव जीत चुकी हैं।

दूसरी बार कैसे बचीं?

2004 में शेख हसीना पर एक बार फिर हमला हुआ था। इस ग्रेनेड हमले में वे बुरी तरह घायल हो गई थीं। इस हमले में 24 लोगों की मौत हो गई थी और कम से कम 500 लोग घायल हुए थे।

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