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खुद मजदूर का बेटा, पार्टी चीन समर्थक… जानिए कौन है श्रीलंका का नया वामपंथी राष्ट्रपति? भारत के लिए बनेंगे चनौती!

Raunak Kumar • LAST UPDATED : September 23, 2024, 7:16 am IST

Sri Lanka New President: जानिए कौन है श्रीलंका का नया वामपंथी राष्ट्रपति?

India News (इंडिया न्यूज), Sri Lanka New President: श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में बड़ा उलटफेर करते हुए मार्क्सवादी नेता अनुरा दिसानायके ने जीत दर्ज की। उन्होंने एक्स पर कहा कि यह सभी की जीत है। दरअसल, यह पहली बार होगा जब श्रीलंका में किसी वामपंथी पार्टी का नेता राष्ट्रपति पद पर बैठेगा। अपनी जीत के बाद दिसानायके ने राष्ट्रीय एकता का आह्वान करते हुए कहा कि सिंहली, तमिल, मुस्लिम और सभी श्रीलंकाई लोगों की एकता एक नई शुरुआत का आधार है। उन्होंने देश की आकांक्षाओं को साकार करने के लिए एक नई शुरुआत की उम्मीद जताई। श्रीलंका के चुनाव आयोग ने औपचारिक रूप से घोषणा की कि 55 वर्षीय दिसानायके ने शनिवार के चुनाव में 42.31 प्रतिशत वोट जीते, जबकि विपक्षी नेता सजित प्रेमदासा दूसरे और विक्रमसिंघे तीसरे स्थान पर रहे।

कौन हैं अनुरा दिसानायके?

बता दें कि, जनता विमुक्ति पेरामुना पार्टी के नेता दिसानायके का जन्म राजधानी कोलंबो से दूर एक मजदूर के घर हुआ था। उन्होंने 80 के दशक में छात्र राजनीति में प्रवेश किया। 1987 से 1989 के दौरान सरकार के खिलाफ आंदोलन के दौरान दिसानायके जेवीपी में शामिल हुए और फिर अपनी अलग पहचान बनाई। वहीं उनकी पार्टी पर श्रीलंका में हिंसा का भी आरोप लगता रहा है। 80 के दशक में जब दिसानायके जेवीपी में थे, तब उनकी पार्टी ने श्रीलंका की मौजूदा सरकार के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह और हिंसा की थी। उस दौर को श्रीलंका के खूनी दौर के तौर पर भी याद किया जाता है। साथ ही दिसानायके का राष्ट्रपति बनना भारत के लिए भी चिंता का विषय हो सकता है, क्योंकि उनकी पार्टी जेवीपी को चीन समर्थक माना जाता है।

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कैसा रहा राजनीतिक करियर?

दिसानायके की राजनीति में कई उतार-चढ़ाव आए हैं। साल 1995 में उन्हें सोशलिस्ट स्टूडेंट्स एसोसिएशन का राष्ट्रीय संयोजक बनाया गया। जिसके बाद उन्हें जेवीपी की केंद्रीय कार्यसमिति में भी जगह मिली। साल 2000 में पहली बार सांसद बनने से पहले दिसानायके तीन साल तक पार्टी के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य रहे। 2004 में उन्हें श्रीलंका फ्रीडम पार्टी के साथ गठबंधन सरकार में कृषि और सिंचाई मंत्री बनाया गया, हालांकि एक साल बाद ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया। दरअसल, उन्होंने हमेशा मार्क्सवादी विचारधारा को सबसे आगे रखते हुए देश में बदलाव की बात की है। राष्ट्रपति चुनाव प्रचार में भी दिसानायके ने ज्यादातर छात्रों और श्रमिकों के मुद्दों का जिक्र किया। उन्होंने श्रीलंका के लोगों से शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में बदलाव लाने का वादा किया।

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