संबंधित खबरें
भारत के पड़ोसी देश की सेना ने अपने ही देश में मचाई तबाही, 500 से अधिक घर तबा, मौत का मंजर देख कांप गए लोग
बेकाबू हुई कैलिफोर्निया की आग, हॉलीवुड सितारों सहित करीब 1 लाख लोग हुए बेघर, Video देख कांप उठेगी रूह
तीसरा विश्व युद्ध होना तय? Corona Virus की भविष्यवाणी करने वाले के इस बात से मचा हंगामा, सदमे में आए ताकतवर देश
इस ताकतवर देश के राष्ट्रपति भवन पर आतंकियों ने मचाया कत्लेआम, मंजर देख कांप गए लोग, मौत के आकड़े जान उड़ जाएंगे होश
HMPV के कहर के बीच चीन में एक और खतरनाक वेरिएंट की दस्तक, प्रशासन के फूले हाथ-पैर, उठाया यह कदम
इस्तीफा देते ही शुरू हुए जस्टिन ट्रूडो बुरे दिन! जिस केस में भारत पर निशाना साध चमकाई अपनी राजनीति, कनाडा कोर्ट ने उसी केस में दिया बड़ा झटका
India News (इंडिया न्यूज), Syria Civil War News: सीरिया में गृहयुद्ध अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचता नजर या रहा है। वहाँ के राष्ट्रपति अल असद को विद्रोहियों द्वारा सत्ता से बेदखल कर दिया गया है। सत्ता से हटाए जाने के होने के बाद वे रूस भाग गए हैं। लेकिन यह लड़ाई अचानक शुरू नहीं हुई है। अगर इसके इतिहास पर नज़र डालें तो कई बातें सामने आएंगी। असल में सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद शिया इस्लामिक समुदाय से आते हैं। अल असद परिवार सीरिया में अल्पसंख्यक के तौर मौजूद शिया समुदाय से आता है, जबकि सीरिया की अधिकरतर आबादी सुन्नी मुस्लिम है। यह धार्मिक विभाजन सीरियाई गृहयुद्ध का एक बड़ा कारण रहा है। सवाल यह उठता है कि अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाला अल असद परिवार इतने लंबे समय तक सत्ता पर कैसे काबिज रहा? इसके पीछे कई कारण हैं। अल असद परिवार ने हमेशा सेना पर कड़ा नियंत्रण रखा है। सेना में ज़्यादातर अलावी (सीरिया में एक शिया समुदाय) थे, जिससे उन्हें सत्ता में बने रहने में मदद मिली। उन्होंने विपक्ष को कुचलने और अपनी सत्ता को मजबूत करने के लिए सुरक्षा एजेंसियों का इस्तेमाल किया। रूस और ईरान जैसे देशों ने हमेशा अल असद सरकार का समर्थन किया है।
सीरिया में सुन्नी और शिया मुस्लिमों के बीच सालों से धार्मिक मतभेद रहा है। दावा किया जाता है कि अल-असद के शासनकाल के दौरान सुन्नी मुसलमानों को कई तरह के उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। सीरिया में गृहयुद्ध के दौरान, अल-असद सरकार ने सुन्नी विद्रोहियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर हिंसा का इस्तेमाल किया। अल-असद सरकार को ईरान का समर्थन मिल हुआ है, जिसे कई सुन्नी मुसलमान शिया इस्लामिक समुदाय का गढ़ मानते हैं। यही कारण है कि दुनिया भर के सुन्नी मुस्लिम अल-असद को अपना दुश्मन मानते हैं।
Siraj-Head Clash: मोहम्मद सिराज पर ICC लगाएगा बैन? हेड से पंगा लेना पड़ा भारी
अब बात करते हैं भारत में रहने वाले शिया मुसलमानों की स्थिति की। भारत में शिया मुसलमानों की संख्या करीब 20% है। वे देश के अलग-अलग हिस्सों में रहते हैं, लेकिन उनकी ज़्यादातर आबादी उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में रहती है। भारत में शिया मुसलमान आम तौर पर दूसरे धर्मों और समुदायों के साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए जाने जाते हैं। लेकिन सुन्नी मुसलमानों और शिया मुसलमानों के बीच तनाव बना रहता है।
शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच मतभेद बहुत गहरे हैं। शिया मुसलमानों का मानना है कि इमामों की नियुक्ति पैगंबर मुहम्मद ने की थी और यह पद वंशानुगत है। जबकि सुन्नी मुसलमानों का मानना है कि इमामों की नियुक्ति समुदाय द्वारा की जाती है। कुरान और हदीस की व्याख्या को लेकर भी दोनों समुदायों के बीच मतभेद हैं।
पप्पू यादव ने बिहार के तीन नेताओं को दी खुली चुनौती, छिड़ा घमासान
दोनों समुदायों के धार्मिक रीति-रिवाजों में भी कुछ अंतर हैं। जैसे मुहर्रम मनाने का तरीका, नमाज पढ़ने का तरीका आदि। इतिहास में कई बार दोनों समुदायों के बीच संघर्ष हुए हैं, जिसके कारण दोनों के बीच अविश्वास और नफरत की आग भड़क गई। कई बार राजनीतिक वजहों से दोनों समुदायों के बीच तनाव भी बढ़ चुका है। और भी कई देशों में शिया मुसलमानों को सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर माना जाता है, जिसके कारण दोनों समुदायों के बीच असमानता और नाराजगी पैदा होती है। हालांकि, दोनों समुदायों में कई लोग ऐसे भी हैं जो एक-दूसरे के साथ शांतिपूर्वक रहते हैं।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.