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आतंकवाद का एंट्री गेट है Tablighi Jamaat : सऊदी अरब

Sameer Saini • LAST UPDATED : December 19, 2021, 2:59 pm IST

Tablighi Jamaat 2020 में कोरोना फैलाने का लगा था आरोप

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :

Tablighi Jamaat एक बार फिर चर्चा में है। पहले तब चर्चा में था जब 2020 में कोरोना महामारी ने भारत में दस्तक दी थी। तब आरोप लगे थे कि तब्लीगी जमात के सदस्यों ने देश के अलग-अलग हिस्सों में संक्रमण पहुंचाया। अब फिर नकारात्मक वजहों से चर्चा में है। सऊदी अरब ने सुन्नी इस्लामिक संगठन तब्लीगी जमात को ‘आतंक का द्वार’ बताते हुए उस पर प्रतिबंध लगा दिया है।

हाल ही में सऊदी इस्लामी मामलों के मंत्रालय ने मस्जिदों को धर्मोपदेश के दौरान लोगों को तब्लीगी जमात साथ जुड़ने के खिलाफ चेतावनी देने का निर्देश दिया था। देश के इस्लामी मामलों के मंत्री ने सुन्नी इस्लामी संगठन को आतंकवाद का एंट्री गेट तक बताते हुए इस पर बैन का ऐलान किया और कहा कि तब्लीगी जमात समाज के लिए खतरा है। सऊदी अरब में बैन लगाए जाने के बाद विश्व हिंदू परिषद ने भारत में भी बैन लगाने की मांग की है। (Tablighi Jamaat)

कैसे हुई तब्लीगी जमात की शुरुआत?

Tablighi Jamaat
Tablighi Jamaat

बताते हैं कि 1925 में आर्यसमाज ने शुद्धिकरण अभियान चलाया था जिसके जरिए हिंदू परंपरा मानने वाले मुस्लिम समुदाय को फिर से हिंदू बना रहे थे। इसी के जरिए मौलाना मोहम्मद इलयास कांधलवी ने तब्लीगी जमात की शुरूआत की थी। तब्लीगी जमात की नींव 1926 ई. में हरियाणा के मेवात जिले में रखी गई थी और जल्द ही ये लोकप्रिय हो गया। 1941 में जब तब्लीगी जमात का पहला जलसा हुआ तो उसमें 25 हजार लोगों ने शिरकत की। ((Tablighi Jamaat))

वर्तमान समय में इस संगठन का फैलाव दुनिया के 150 देशों में हो गया है। दुनिया भर में रहने वाले करीब 10 करोड़ से अधिक लोग इस संगठन से जुड़े हैं। बताया जाता है कि साल के कुछ महीने तब्लीगी से जुड़े लोग गांव-गांव जाकर लोगों को धर्म की जानकारी भी देते हैं।

क्यों सऊदी अरब ने तब्लीगी जमात पर बैन लगाया?

Tablighi Jamaat
Tablighi Jamaat

सऊदी अरब दुनिया भर में करीब 15 हजार करोड़ रुपए सलाना इस्लाम धर्म के प्रचार के लिए दान देता है। सऊदी इस्लाम के प्रचार-प्रसार के लिए वहाबी आंदोलन भी चलाता रहा है। ऐसे में इसी देश में तब्लीगी पर बैन लगाए जाने से हर कोई हैरान है। तब्लीगी जमात से जुड़े लोग हनफी मसलक के हैं और सऊदी अरब के मस्जिदों में सलफी मसलक के इमाम होते हैं। ऐसे में वैचारिक मतभेद एक अहम वजह है।

सऊदी अरब में सभी मस्जिद सरकार के अधीन है जबकि तब्लीगी जमात के लोग मस्जिदों में रहकर प्रचार करते हैं। ऐसे में प्रशासन और जमात के लोगों में विवाद। सऊदी अरब का मानना है कि वहां से इस्लाम पूरी दुनिया में फैला ऐसे में वहां रहने वालों को कोई इसके बारे में क्या बता सकता है। (Tablighi Jamaat)

क्या हैं तब्लीगी जमात के सिद्धांत?

  • कलम: जिसका अर्थ है अल्लाह के अलावा कोई ईश्वर नहीं और मोहम्मद उनके पैगंबर हैं।
  • सलात: मतलब सभी मुसलमान समुदाय को पांच समय की नमाज अदा करनी चाहिए।
  • इल्म-ओ-जिक्र: इसमें इमाम या स्कॉलर के जरिए कुरान की बातें अन्य लोगों तक पहुंचाना होता है।
  • इकराम-ए-मुस्लिम: इसमें बताया गया है कि सभी मुसलमान भाइयों के साथ बड़ी विनम्रता और इज्जत से पेश आना।
  • इख्लास-ए-नियत: इस सिद्धांत में धर्म और कुरान में लिखी गई बातों को वफादारी से मानना होता है।
  • दावत-ए-तब्लीगी: इसका मतलब है कि अपने काम से समय निकालकर इस्लाम धर्म को सीखना और प्रचार करना होता है।(Tablighi Jamaat)

क्या हैं तब्लीगी जमात से जुड़े विवाद?

दरअसल, 2020 में कोरोना महामारी के समय तब्लीगी जमात पर कोरोना फैलाने का आरोप लगाया गया था। इस मामले पर भारत में तब्लीगी जमात से जुड़े लोगों पर केस भी दर्ज हुए थे। भारत के अलावा पाक और इंडोनेशिया में भी तब्लीगी जमात पर आरोप लगाए गए थे। आपको बता दें कि साऊदी अरब के अलावा उज्बेकिस्तान, तजाकिस्तान, कजाकस्तान में भी तब्लीगी पर बैन लगा है। तब्लीगी जमात से जुड़े सऊदी अरब निवासी अब्दुल बुखारी और हामीर मोहम्मद का नाम लश्कर-ए-तैयबा से भी जुड़ा मामला मिला है।

(Tablighi Jamaat)

Also Read : Jammu and Kashmir News लश्कर-ए-तैयबा का कुख्यात आतंकी गिरफ्तार

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