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इंडिया न्यूज, काबुल :
Taliban Fear Among Afghan Journalists : अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां मीडियाकर्मी दहशत में जी रहे हैं। अब तक कई पत्रकारों को मौत के घाट उतार दिया गया है। सबसे ज्चादा महिलाओं और मीडिया कर्मियों को प्रताड़ित किया जा रहा है। काबुल पर कब्जे के तुरंत बाद, तालिबान लड़ाके कई पत्रकारों की तलाश कर रहे हैं। कई मीडिया आउटलेट बंद हो गए हैं। इस बीच अफगानिस्तान के 150 से ज्यादा पत्रकारों ने संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से उन्हें सुरक्षित बचाने की अपील की है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार विगत दो दशक में अफगानिस्तान के पत्रकारों ने देश के अंदर जो पत्रकारिता की भावना पैदा की थी, वह अब धीरे-धीरे खत्म हो रही है। तलिबान का असर मीडिया समूहों पर भी देखने को मिल रहा है। निजी टीवी चैनलों पर दिखाए जा रहे कंटेंट में बदलाव किया गया है। अफगानी लोगों के विरोध प्रदर्शन को कवर करने वाले पत्रकारों को हिरासत में लिया जा रहा है और कठोर कानूनों के तहत झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है। पत्रकार तकी दरयाबी और नेमातुल्लाह नकदी को तालिबान लड़ाकों ने सिर्फ एक विरोध कार्यक्रम को कवर करने के लिए बेरहमी से पीटा था। उन्हें थाने ले जाया गया, जहां उनके साथ बेरहमी से मारपीट की गई।
अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद से ही देश में चीजें नाटकीय रूप से बदल गई हैं। राजधानी काबुल स्थित अफगानिस्तान के सरकारी सूचना मीडिया केंद्र के निदेशक दावा खान मेनापाल की अगस्त के पहले हफ्ते में हत्या कर दी गई थी। उसके दो दिन बाद तालिबान लड़ाकों ने पक्तिया घग रेडियो के पत्रकार तूफान उमर की हत्या कर दी। इसके अलावा कई पत्रकारों को प्रताड़ित किया गया है।
दरियाबी घटना को याद करते हुए कहते हैं, ‘ तालिबानी लड़ाकों के हाथ में जो बी था, उन्होंने मुझे मारने के लिए वो इस्तेमाल किया। मेरे चेहरे पर जो निशान हैं, वो जूतों के है, जिस्से उन्होंने मेरे चेहरे पर मारी थी। उसके बाद मैं बेहोश हो गयाथा, इसलिए उन्होंने मुझे रोक दिया।’ रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान के डर से कई पत्रकार छिप गए हैं, अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स को बंद कर दिया है और तालिबान की आलोचना करने वाली खबरों को डिलीट कर दिया है।
तालिबान ने महिला पत्रकारों से काम ना करने और घर में रहने को कहा है। रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान द्वारा स्वतंत्रता की घोषणा के तुरंत बाद दो महिला चीवी एंकरों को सार्वजनिक प्रसारक रेडियो टेलीविजन अफगानिस्तान में आफ-एयर कर दिया गया था। संयुक्त राष्ट्र-मान्यता प्राप्त गैर-लाभकारी संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर के अनुसार, 2020 में काबुल में 108 समाचार आउटलेट में 4,940 कर्मचारी काम कर रहे थे, और उनमें से 1080 महिलाएं थीं, लेकिन अब, महिला पत्रकारों की संख्या 100 से नीचे आ गई है।
तालिबान में कुछ मीडिया संगठन ऐसे भी हैं, जिन्होंने वित्तीय संकट, शत्रुतापूर्ण वातावरण और तालिबान की धमकियों के बावजूद पत्रकारिता करना जारी रखने का फैसला किया है। टोलो टीवी और पझवोक समाचार एजेंसी कुछ ऐसे समाचार आउटलेट हैं, जो अफगानिस्तान में होने वाली घटनाओं को सभी तक पहुंचाने के लिए विदेशों से काम करने जैसे विकल्प तलाश रहे हैं।
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