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India News (इंडिया न्यूज),Biden Meets Xi Jinping:अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग शनिवार को मुलाकात करेंगे। दोनों नेता पेरू के लीमा में एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) फोरम की बैठक के दौरान मिलेंगे। यह मुलाकात दोनों नेताओं के बीच संभवत: आखिरी मुलाकात हो सकती है। बिडेन और शी के बीच यह बातचीत ऐसे समय हो रही है, जब चीन-अमेरिका संबंधों में तनाव लगातार बढ़ रहा है। दोनों नेता अमेरिका और चीन के तनावपूर्ण रिश्तों समेत वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे। इस बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है, जिसमें व्यापार, दक्षिण चीन सागर, ताइवान, मानवाधिकार और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे शामिल हैं। खास तौर पर ताइवान और दक्षिण चीन सागर में चीन के आक्रामक कदमों को लेकर अमेरिका और चीन के बीच लगातार मतभेद रहे हैं। इसके अलावा दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध और तकनीकी क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा भी बड़ा मुद्दा बन गया है। इन सभी मुद्दों पर नेताओं के बीच बातचीत से स्थिति स्पष्ट होने की उम्मीद है। ट्रंप की वापसी ने बढ़ाई चीन की चिंता डोनाल्ड ट्रंप की अमेरिका में संभावित वापसी भी इस बैठक का अहम संदर्भ बन सकती है। ट्रंप प्रशासन के दौरान अमेरिका और चीन के बीच कई विवाद गहरा गए और अब देखना यह है कि दोनों देशों के नेतृत्व के बीच होने वाली इस बैठक में बातचीत किस दिशा में आगे बढ़ती है। हालांकि ट्रंप कैबिनेट को देखते हुए कहा जा सकता है कि अब चीन के साथ रिश्तों में फिर से वही पुरानी खटास आ जाएगी।
बाइडेन प्रशासन ने चीन के साथ अपने रिश्तों में हमेशा प्रतिस्पर्धा और सहयोग दोनों की नीतियां अपनाई हैं। हालांकि पिछले कुछ सालों में दोनों देशों के रिश्तों में कई मुद्दों पर टकराव देखने को मिला है। लीमा में होने वाली इस बैठक पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भी नजर रहेगी, क्योंकि इस बैठक का वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था पर खासा असर पड़ने की संभावना है। साथ ही एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका और चीन के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा और तनाव के चलते यह बातचीत दोनों देशों और वैश्विक स्थिरता के लिए अहम साबित हो सकती है।
ट्रंप ने अपनी जीत के बाद से ही अपने मंत्रिमंडल के विस्तार के लिए कई नेताओं के नामों की घोषणा की है। इसमें डोनाल्ड ट्रंप ने देश की कूटनीतिक जिम्मेदारियों के लिए माइक वाल्ट्ज को चुना है। वे अमेरिका के नए एनएसए होंगे। अगर उनके इतिहास पर नज़र डालें तो उन्होंने कई मौकों पर चीन की आलोचना की है। इतना ही नहीं, कैबिनेट में कई और नाम ऐसे हैं जिन्हें चीन का आलोचक माना जाता है।
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