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India News (इंडिया न्यूज),Israel Hamas War:गाजा पट्टी में युद्ध रोकने के लिए इजरायल के साथ संघर्ष विराम समझौते के तहत हमास ने शनिवार को अपनी चार महिला सैनिकों को रिहा कर दिया। बदले में करीब 200 फिलिस्तीनी कैदियों को भी रिहा किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चार सैनिकों (करीना एरीव, डेनिएला गिल्बोआ, नामा लेवी और लिरी अलबाग) को गाजा में रेड क्रॉस को सौंप दिया गया है।
रिहाई कार्यक्रम के दौरान महिलाओं को फिलिस्तीनी वाहन से उतारकर मंच पर लाया गया। उन्होंने मुस्कुराते हुए भीड़ की ओर हाथ हिलाया। फिर वे रेड क्रॉस के वाहनों में बैठ गईं। चारों महिलाएं इजरायली सैनिक हैं, जिन्हें 7 अक्टूबर को हमास के हमले के दौरान इजरायल के नाहल ओज सैन्य अड्डे से अगवा कर लिया गया था। इन महिला सैनिकों ने वहां उनके साथ हुई पूरी कहानी बताई है।
चारों महिला सैनिकों ने बताया कि अपहरण के बाद उन्हें ऐसी जगह रखा गया जहां न तो सूरज की रोशनी पहुंच पाती थी और न ही वे ठीक से सांस ले पाती थीं। वहां रोशनी नहीं थी, इसलिए उन्होंने अपना ज्यादातर समय अंधेरे में बिताया। उन्होंने बताया कि 477 दिनों की कैद के दौरान उन्हें गाजा शहर समेत गाजा के कई इलाकों में घुमाया गया। उनमें से कुछ को “हमास के बहुत वरिष्ठ लोगों” से भी मिलवाया गया।
They’re in our hands now and we are not letting go💛
Welcome home, Daniella, Liri, Karina and Naama. pic.twitter.com/A1V9FcbQY6
— Israel Defense Forces (@IDF) January 25, 2025
महिला सैनिकों ने बताया कि वहां उनके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया जाता था। न तो उन्हें ठीक से खाना दिया जाता था और न ही पीने के लिए ठीक से पानी। इसके अलावा कई बार उनमें से कुछ को आतंकियों के लिए खाना भी पकाना पड़ता था। इसके साथ ही उन्हें शौचालय भी साफ करने पड़ते थे। इतना सब करने के बाद जब उनसे खाना मांगा गया तो उन्हें मना कर दिया गया। सैनिकों ने कहा कि यह उनके जीवन का अब तक का सबसे भयावह समय था। हम एक दूसरे का हौसला बढ़ा रहे थे, इसीलिए हम आज तक जिंदा हैं।
महिला सैनिक ने कहा कि वे हर समय हमारा मजाक उड़ाते थे। कई बार तो उन्हें रोने भी नहीं दिया जाता था।अगर वे ऐसा करती थीं तो उनके साथ मारपीट की जाती थी।उन्हें कई दिनों तक नहाने भी नहीं दिया जाता था।घायल लोगों को इलाज के लिए तड़पना पड़ता था। महिलाओं ने कहा कि इस पूरी कैद के दौरान उन्होंने रेडियो खूब सुना। जिस पर उन्हें युद्ध के बारे में भी जानकारी मिलती थी।महिला सैनिकों ने कहा कि इस दौरान उन्होंने वहां अरबी भाषा भी सीखी।जिससे चीजें काफी आसान हो गईं।
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