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ट्विटर पर भिड़े पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और इमरान खान

Bharat Mehndiratta • LAST UPDATED : July 24, 2022, 12:27 pm IST
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ट्विटर पर भिड़े पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और इमरान खान

Pakistan PM Shahbaz And Imran Khan

इंडिया न्यूज, इस्लामाबाद (Pakistan PM Shahbaz And Imran Khan): पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के प्रमुख इमरान खान के बीच शनिवार को ट्विटर पर तीखी बहस हुई। दोनों में ये टकराव संपत्ति बेचने की प्रक्रियाओं को लेकर हुआ। पीटीआई प्रमुख इमरान खान ने राष्ट्रीय संपत्तियों को बेचने की सभी प्रक्रियाओं को दरकिनार करने को लेकर निशाना साधा। उन्होंने ट्विटर पर राष्ट्रीय संपत्ति की बिक्री के लिए आयातित सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया। इससे कुछ घंटों पहले ही कैबिनेट द्वारा अध्यादेश को मंजूरी दी गई थी।

इमरान ने कहा कि अपराध मंत्री के नेतृत्व में अमेरिकी साजिश के माध्यम से आयातित सरकार को कैसे सत्ता में लाया जा सकता है। राष्ट्रीय संपत्ति की बिक्री पर भरोसा किया जा सकता है, वह भी सभी प्रक्रियात्मक कानूनी जांचों को दरकिनार करते हुए।

ट्विटर पर क्या लिखा इमरान खान ने

इमरान ने पाक पीएम शहबाज पर 30 वर्षों से पाकिस्तान को लूटने और वर्तमान आर्थिक मंदी का आरोप लगाया। ट्वीटर पर उन्होंने लिखा कि इन चोरों को हमारी राष्ट्रीय संपत्ति को कभी भी कुटिल तरीके से बेचने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इमरान के इस ट्वीट का जवाब देते हुए पीएम शहबाज ने कहा कि वह स्मृति हानि से पीड़ित हैं और कुछ अनुस्मारक की आवश्यकता है।

घोटालों के अलावा तबादलों की भी बिक्री होती थी

शहबाज शरीफ ने लिखा कि एक, ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, उनके (इमरान खान) शासन के दौरान भ्रष्टाचार बढ़ा। यहां तक कि बड़े घोटालों के अलावा तबादलों की भी बिक्री होती थी। उन्होंने कहा कि देश इसी बात की कीमत चुका रहा है कि उन्होंने अर्थव्यवस्था को कैसे कुप्रबंधित किया। शहबाज ने इमरान खान पर देश की वैश्विक प्रतिष्ठा और स्थिति और मित्र देशों के साथ संबंधों को गहरी चोट पहुंचाने का आरोप लगाया।

क्या है नए अध्यादेश में

पाकिस्तान में आए नए अध्यादेश के मुताबिक पाक में कोई भी अदालत किसी विदेशी संस्था को संपत्ति की बिक्री की किसी प्रक्रिया या अधिनियम के खिलाफ आवेदन, याचिका या मुकदमे पर विचार नहीं करेगी। इस अध्यादेश में कहा गया है कि कोई भी अदालत किसी वाणिज्यिक लेनदेन या समझौते के लिए की जाने वाली किसी भी प्रक्रिया के खिलाफ निषेधाज्ञा नहीं देगी या निषेधाज्ञा के लिए किसी आवेदन पर विचार भी नहीं करेगी। जो लोग इन संपत्तियों को बेचने में शामिल होंगे, उनके खिलाफ किसी भी मुकदमे, अभियोजन या किसी अन्य कानूनी कार्यवाही या हजार्ने की कार्रवाई का दावा नहीं किया जा सकता है।

सिर्फ अदालत ही नहीं, बल्कि कोई भी जांच एजेंसी, भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसी, कानून प्रवर्तन एजेंसी किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी भी प्रक्रियात्मक चूक या अनियमितता के लिए एक वाणिज्यिक लेनदेन या समझौते में जांच शुरू नहीं कर सकती है, जब तक कि व्यक्तिगत धन का सबूत मौजूद न हो।

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