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इंडिया न्यूज, लंदन (UK Inflation): यूनाइटेड किंगडम में मुद्रास्फीति एक नए 40-वर्ष के उच्च स्तर पर पहुंच गई है। यहां के आफिस फॉर नेशनल स्टैटिस्टिक्स ने बुधवार को कहा कि उपभोक्ता कीमतों में इस साल जून में 9.4 फीसदी की वृद्धि हुई, जो पिछले महीने 9.1 फीसदी थी। नया आंकड़ा 1982 के बाद से सबसे अधिक है, जब मुद्रास्फीति 11 फीसदी पर पहुंच गई थी। रूस और यूक्रेन युद्ध से दुनियाभर में सप्लाई चैन प्रभावित हुई है।
इस कारण खाद्य वस्तुओं से लेकर कच्चा तेल तक की कीमतों में भारी उछाल आया है। इससे महंगाई तेजी से बढ़ी है। वैश्विक अर्थव्यवस्था कोविड-19 महामारी से उबरने लगी थी। लेकिन युद्ध के कारण तेल, प्राकृतिक गैस, अनाज और खाना पकाने के तेल के शिपमेंट बाधित हो गए हैं। इसने बढ़ती कीमतों में इजाफा किया है।
इससे पहले मंगलवार को बैंक आफ इंग्लैंड के गवर्नर एंड्रयू बेली ने कहा कि मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद के लिए बैंक अपनी अगली बैठक में ब्याज दरों को आधा प्रतिशत बढ़ाने पर विचार कर सकता है। बैंक ने दिसंबर के बाद से 5 बार दरें बढ़ाई हैं। आखिरी बार जून महीने में एक चौथाई अंक की वृद्धि के साथ इसकी प्रमुख दर 1.25% थी। उन्होंने कहा कि हम स्पष्ट हैं कि हम मुद्रास्फीति के जोखिम के संतुलन को ऊपर की ओर देखते हैं।
मुद्रास्फीति के बढ़ने का सबसे बड़ा कारण पेट्रोल और डीजल इंधन की बढ़ती लागत है। पिछले वर्ष वाहन इंधन की कीमतों में 42.3% की बढ़ोतरी हुई है। सांख्यिकी कार्यालय ने कहा कि जून में गैसोलीन की कीमत 184 पेंस प्रति लीटर (8.37 डॉलर प्रति गैलन) थी। वहीं अंडे, डेयरी उत्पादों, सब्जियों और मांस की बढ़ती कीमतों के कारण खाद्य कीमतों में वर्ष के दौरान 9.8% की वृद्धि हुई।
बता दें कि सिर्फ ब्रिटेन ही नहीं बल्कि अमेरिका में भी महंगाई ने 40 साल का रिकार्ड तोड़ा है। अमेरिकी मुद्रास्फीति जून में 9.1% पर चार दशक के उच्च स्तर पर पहुंच गई, जबकि यूरो का उपयोग करने वाले 19 देशों में पिछले महीने यह 8.6% तक पहुंच गया।
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