India News (इंडिया न्यूज), Rishi Sunak: इंग्लैंड के पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक अक्सर चर्चाओ मे रहते हैं वहीं इसी बीच ऋषि सुनक को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है जहां कंजर्वेटिव पार्टी के नेता के रूप में उन्हें बदलने को लेकर दौड़ तेज हो गई है। वहां के राजनीतिक दलों के अंदर क्या चल रहा है, कोई पार्टी किसी भी शख्स को अपना लीडर बनाए या फिर हटाए उससे किसी भारतवासियों को कोई मतलब नहीं है। लेकिन कोई भी पूरे भारतीय समुदाय को टागगेट कर लें ये बिल्कुल गलत बात है। इससे भारतीय को फर्क पड़ता है। बता दें कि सुनक के बहाने पूरे भारतीय समुदाय को टारगेट करने की कोशिश की जा रही है। उनकी ही पार्टी को दो प्रमुख उम्मीदवार भारत के बारे में अनाप-शनाप बक रहे हैं, तो चलिए जानते हैं इससे जुड़ी पूरी जानकारी।
आपको बता दें कि, रॉबर्ट जेनरिक और केमी बेडेनोच इंग्लैंड में पूर्व मंत्री रह चुके हैं। इस बार दोनों ने अप्रवासी भारतीयों को निशाने पर लिया है। दोनों ने देश की अप्रवासी नीति को सख्त बनाने की बात कही है, वो भी खास तौर पर भारत के लिए। उन्होंने आरोप लगाया है कि इसी वजह से पार्टी इस बार चुनाव हार गई। रॉबर्ट जेनरिक ने भारत के अवैध नागरिकों को वापस भेजे जाने तक सख्त वीजा प्रतिबंध लगाने की मांग की है। उन्होंने यहां तक कह दिया है कि इंग्लैंड में करीब 1,00,000 अवैध भारतीय रह रहे हैं। केमी बेडेनोच ने रॉबर्ट की बातों को दोहराने के अलावा कुछ खास नहीं कहा। उन्होंने 2022 में एक क्रिकेट मैच के बाद पैदा हुई अशांति का हवाला देते हुए भारत के लोगों को कोसा है। इंग्लैंड में भारत और पाकिस्तान के बीच एशिया कप का मैच हुआ था।
यह दोनों नेता भारत के खिलाफ बोल रहे थे, लेकिन उन्होंने पाकिस्तान पर कोई टिप्पणी नहीं की। ऐसे में उनकी नीयत पर सवाल उठना वाजिब है। शायद दोनों को नहीं पता कि इंग्लैंड की अर्थव्यवस्था में भारत का कितना बड़ा योगदान है। दूसरी तरफ उन्हें पाकिस्तान के बारे में भी बात करनी चाहिए। दोनों देशों के बीच कोई तुलना नहीं है, लेकिन अंतर बहुत बड़ा है।
विभिन्न मीडिया रिपोर्टों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, UK में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मामले में भारत अमेरिका और फ्रांस के बाद तीसरे स्थान पर है। इंग्लैंड में 65,000 से अधिक कंपनियाँ हैं, जिनका स्वामित्व भारतीय प्रवासियों के पास है। इनमें लक्ष्मी मित्तल, लॉर्ड करण बिलिमोरिया, करतार लालवानी और तेज लालवानी जैसे कुछ प्रमुख भारतीय व्यवसायी शामिल हैं।
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भारतीय प्रवासियों के स्वामित्व वाली कंपनियाँ लगभग 1,40,000 लोगों को रोजगार प्रदान करती हैं। जाहिर है कि इनमें बहुत सारे ब्रिटिश लोग काम करते हैं। इन कंपनियों का कुल राजस्व £36.84 बिलियन (लगभग 3,66,440 करोड़ रुपये) है। भारतीय प्रवासियों के स्वामित्व वाली कंपनियाँ पूंजीगत व्यय के रूप में लगभग £2 बिलियन (लगभग 19,900 करोड़ रुपये) का निवेश करती हैं। ये कंपनियां करों के रूप में £1 बिलियन (लगभग ₹9,950 करोड़) से अधिक का भुगतान करती हैं।
भारतीयों सहित अंतर्राष्ट्रीय छात्र यू.के. में स्वयं काम करके जितना कमाते हैं, उससे लगभग 10 गुना अधिक योगदान देते हैं। कुल मिलाकर, भारतीय समुदाय व्यापार और करों के माध्यम से हर साल ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में लगभग 25 बिलियन पाउंड (लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये) का योगदान देता है।
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